Jatak khand 3  by भदन्त आनन्द कौसल्यायन - Bhadant Anand Kausalyayan

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about भदंत आनंद कौसल्यायन -Bhadant Aanand Kausalyayan

Add Infomation AboutBhadant Aanand Kausalyayan

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
[5३ .] इ१८, कणवेर जातक . ...... ं २९६. [ श्यामा ने नगर-कोतवाल को हजार दे डाकू की जान बचाई श्र उस पर आसक्त होने के कारण उसे झपनां स्वामी बनाया | डाकू उसके गदने-कपड़े ले चलता बना । ३१४, तिन्तिर जातक था र३१.. [ चिड़िमार फसाऊ-तीतर की मदद से तीतरों को फसाता था । तीतर को सन्देह हुश्ना कि बह पाप का. भागी है. वा नहीं ? ] दे ०, सुच्चज जातक कर कं रद [ रानी ने राजा से पूछा--यदि यह पबत सोने का हो जाय, तो मुझे क्या मिलेगा ? राज्ञा ने उत्तर दिया--तू कौन है, कुछ नहीं दूंगा । ] २. कटिदूसक बग ल्‍ रद. ३९१, कुटिदूसक जातक कल रेप. [ बन्दर ने बये के सठुपदेश से चिढ़कर उसका घोंसला नोच डाला । ] ३९२ दुदम जातक. , ,... ..... कि [ खरगोश को सन्देह हो गया कि एथ्वी उलट रही है । सभी... :.. बन्ध-विश्वासियों ने उसके शअलुकरण में भागना शारम्भ किया। पु ला मद सर देर३, बह्ादत्त जातक न कप [ब्राह्मण ने बार बष. के संकोच के. बाद राजा से.




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now