पंवार वंश दर्पण | Panwar Vansh Darpan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(६ 2) उसने कत्यादा के चॉसुकयां को हरा कर मुख को मूत्यु गा बदला लिया धौर शाकम्मरी के 'ौहान राज्य शरीर्मराम को मारा ! चित्तौड पर उसका मधिकार था । इत्दरव तोन्पस थीम भादि प्रतेक पड़ोसी राजापों को मी उसने इएया भौर उससे संरक्षित बिद्यानों बाय रचित सनेक प्रथो ऐे सस्झत सादित्य पलकत है । मोज की पृस्यु के तमय उसके निरोबी युजएठ के राजा बीमदेग प्रभम पर बेदिराज कर्स ने धारा को बेर लिया था पीर स्विति काफी शराग थी । प्रठीत होता है कि भरत मे भक्त मोज के चाम्प ते थी प्तय शया था । इन सम्ब्धों का उदयक्रश भोज कम म्याईँ बदसादिसिय है जिसने लोज गौ मृत्यु के कुछ समय आद मालवदेश को पुत स्ववत्त्र किया । यह थी भक्तद विज्ञान था । इसके बाद पतेक कह्पित शामों गो देकर “बर्पस' प्ौर अंशादली' में बयद गे का सास दिया है जो प्रफो समय का म्मतिय बीर था | तीन छसयों में इपाबदास ने शा शुकमान किया है। इतमें जितेप कप पे बगदेव के करली को पपले शिर का दात देने की कथा का ब्डत है । प्रायत्र इम दिउ नर चुके हैं लि बपह थे गाह्तन में जिषिद बोर था । चने बपतिइ विद्धराज को बात से ही बद्दी युद्ध में थी शीचा दिखाया था । कस्पास के प्रणियि णजा विक्रमादित्य पप्ठ के दरबार में उछना पृ सम्मात था भौर उसके थीयन का भत्तिम भाग लिछसादित्प कै भामत्त के कप थे मासद यूमि सै भत्प ही बौता । किस्तु जट्टा जगदुदेव होसा लहीं माचक प्रौर दिद्ञाए मौ निशिवितकूप ले पहुँचठे भौर उसको बदास्फ्तत घोर शौर्स को प्रनक कबामा ते इमाए पाहित्प मुरधित है । माततदे में उदगाहिस्प के बाद ब्यस्तव में शइसणय बर्मा गपुदी पर बैठा प्ौर जलका उत्तराधिअरी उमा झोटा माएँ मरबमा हुपा जियडे समय तक बित्तौड मे परमांरों का भजिगार था । हे ८. देखें गजस्वान म्यरती बन ४ प्रदू ४ पृ ४०-1१




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