सुगम संस्कृत - व्याकरण | Sugam Sanskrit Vyakaran

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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६ दै ४५. वर्णोंके झन्य भेद-- . क 9 . ग्रघोष 5पएत80--म्रस्येक बग का पहला दूसरा वण तथा __ श ष स अघोषहें । इन्हें पुरुष नि वण भी कहते हैं । एं घोष 800&008 --अघोष वर्ण के अतिरिक्त शेष वण स्व॒र तथा व्यज्जन घोष हैं । सूब स्वर घोष हैं । घोष वर्णों को कोमल 300. भी कहते हैं । के ख 0 अझल्पग्राण-- प्रत्येक वर्ग के पहले तीसरे पाँचवें बण तथा .... झन्तःस्थ वें अरुपप्राण कहाते हैं। _.. _ ्‌ ए महाप्राण 5 5एए806 -प्रत्येक वग के दूसरे चौथे बण तथा ऊष्म बण मद्दाप्राण कहाते हैं । विसग भी महाप्राण ही । हु कोमल महाप्राण है झौर विसग ऊुछे परुष मददाप्राण है। निम्न तालिका में वर्णों के ये चारों प्रकार दिखाये गये हैं- घोष घोष अल्पशप्राण न महाश्राण क.ख़ | ग घ ड. | क ग ड ।. ख घ ८ ठ | 5 ढ़. ण सकमवलयाकागडर तय दुथन प फ | ब भ सम श ष स ह विसग | छानुस्वार जले असपमरगललस्पलशपरलेवमलयसभर नैललकलशलेलमेशममममधमममकार अथा फिनडन बााननकदडतनबमवभादितकी व कलककपेा कार |. री है नारवस तप... पलनिसेत तर सर नहा. ता




User Reviews

  • Deepak

    at 2019-09-12 22:28:48
    Rated : 10 out of 10 stars.
    "दुर्लभ पुस्तकों का संग्रह।"
    दुर्लभ पुस्तकों का संग्रह पढ़ने को मिला यह अपने विचार को मूर्तरूप देने का सबसे सुनहरा मंच है। साधुवाद।
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