बच्चो का पालन और रोगों की चिकित्सा | Bacchon Ka Palan Or Rogon Ki Chikitsa

Book Image : बच्चो का पालन और रोगों की चिकित्सा - Bacchon Ka Palan Or Rogon Ki Chikitsa

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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९५ का शरीर सलपदार्थोसे भर जाता देचन्दी मल पदार्थोको बालक की प्रबल जीवन शक्ति खाल में होकर निकालने को कोशिश करती है इसलिये वास्तव सें ठो चेचक धालक के शरीर के लिये एक कष्ट रद किन्तु परस शारोग्यप्रद किया है. और इसमें भय की कोई धात नहीं है । श्ावश्यकता केवल इस बात की है कि नन्दे शरीर को प्रकृति के उदद श्याजुसार रखा जावे । बुखार का जो इलाज है वही चेचक का भी है श्रौर सभी ग्रकार की चेचक में होने वाली गड़वढ़ी बेचैनी नींद न श्ाना झाडि उपद्रव चढ़ी सरलता से सिटाये जा सकते हैं जो खसरा छादि गेग सीधे साथ श्राकृतिक उपचारों से बढ़ीं सरलता से सफलता पूर्वक अच्छे होते हैं उन्हीं के लिये प्रकृति से गिरने के कारण कितना कट उठाते हैं। बे डाक्टरों की कितनी शुलामी करत हैं कितनी धन फिजूल पानी की तरद यहाते हैं और कितने सुन्दर बालक चेमौत मारे जाते हैं । भगर फिर भी हमारी र्खे खुलती ही नहीं । छोटी चेचक के इलाज में हमें खाल के लिंट्रों को खोलने की कोशिश करनी चाहिए ताकि पसीना खूब वे और मेल निकल लाय । साथ दो घढो हुई गरमी को ठडी हवा के स्नान द्वारा झथांत्‌ वच्चे को कई वार हवा में नगा रखकर कम करने को कोशिश करनी चाहिये इन उपारें से घबराहट व सुधार कस हो जाययी । बहुवा झाप देगेंगे कि ठदोी दवा या जल के पेड स्नानों से चेचक न निकल कर मल पटाथे पसीना मल-मूत्र द्वारा बाइर




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