हमारा योग और उसके उद्देश्य | The Yoga And Its Objects

The Yoga And Its Objects by श्री अरविन्द - Shri Arvind

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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चाहिये। केवल भगवानसे चिपके रहो। उन्होंने तो कहा ही है कि में तुझे समस्त पापों ओर दोषोंसे मुक्त कर दूँगा। परन्तु यह मुक्ति किसी अचानक चमत्कारके रूपमें नहीं होती यह पवित्रीकरणकी णक प्रक्रियाद्दारा होती है ओर ये चीजें रोग संकट पाप मलिनताका उभाड़ इस प्रक्रियाका एक अंग ही है । यह ऐसा है जैसे कोई कमरा बहुत दिनॉतक बिना झाड़े-बुद्दारे पड़ा हो ओर अन्तमें उसको साफ किया जाय तो उसकी धूल बुरी तरह ऊपर उठती है। यद्यपि यह घूल तुम्हारा गला घोटतीसी दिखायी देती है फिर भी अपना प्रयत्न बराबर जारी रखा मा शुच । अपने कठेत्वाभिमानसे विलग होनेके लिये यह आवश्यक है कि तुमको यह ज्ञान हो कि तुम तो पुरुष हो जो केवल साक्षी है ईश्वरके कार्यका अनुमति देता है आधारकों घारण करता है ओर ईश्वरके दिये हुए फलोंका भोग करता है। यथाथेमें कमकों तो दक्तिके रूपमें भगवान अर्थात्‌ भगवती दाक्ति करती है काली करती हैं और श्रीकृष्णकों यज्ञरूपसे अपण करती हैं। तुम तो उस यजमानकी तरह हो जो यज्ञको १४ |




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