तुगलुक कालीन भारत भाग १ | Tugaluk Kalin Bharat Bhag 1

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ड झघर्मी साद मन्तको उद कवि सज्म इनतेशार फलसफी के कुधभाव नें उसको निर्देयी बना दिया था । इसके साथ साथ उसने अपने समूद के उन श्रालिमो को भी पूर्ण रूप से दोपी ठहराया है जो उसके समझ प्रांस के मय श्रथवा घन के लोभ में सत्य बात ने बहते घे । वह लिखता है हम जेसे कुछ कृतध्न भी जो थोडा बहुत पढ़े लिखे थे भीर उन विद्याधों वो समभते थे जिनसे भनुष्य को यथ प्रास होता है ससार के लोभ तथा लालच में पास्डपत करते थे भ्रीर सुल्तान के विश्वामपात्र होकर दारा के विरुद्ध हत्या काप्ड के सम्बन्ध में सत्य बात सुल्तान के समक्ष न कट्दते थे । प्राणो के भय से जोकि नदवर है तथा घन-सम्पत्ति के लिये जो पतनशील है श्रातक्ति रहते थे श्रौर त्ततके जोतल तथा उसका विशवासपाश्र बनने के लोभ में धर्म के श्रादेगो के विरुद्ध उसके भ्रादेशो की सहायता वरते थे श्रप्रमाणित रवायतें पढ़ा करते थे । उनमे से दूसरों का तो मुें कोई ज्ञान नही किन्तु में देख रहा हू कि मेरे ऊपर बयां बीत रही है । में जो बुछ कह छुका था कर चुका हूं उसका बदला मुझे इस बृद्धावस्था में इस प्रकार मिल रहा है कि में ससार में लज्जित श्रपमानित तथा पतित हो चुका हूं । न मेरा बोई मुल्य ही है शरीर न मुझ पर कोई विश्वास ही करता है । मैं दर-दर वी ठोरें खाता हू पीर भ्रपमानित होता रहता हैं । में नहीं समभता वि क्यामत में मेरी वया दुर्दशा होगी श्रौर मुके कौन-कौन से कष्ट मोगने पढेंगेर 17 बरनी ने सुल्तान के शप्रारम्मिक दासन प्रबन्ध के सम्बन्ध में केवल ख़राज की बसुली एवम्‌ झधिक्ता का उल्लेख विया है । यह विवरण बडा ही शभ्पूर्ण है भोर केवल उसकी मददत्वाकाक्षाओं एवं योजनाप्रों की भूमिका के रूप में लिखा गया है। उसने सुस्तान मुहम्मद बिन तुगलुक की छ योजनाओं की चर्चा की है १ दोग्राव के कर में बुद्धि | २ राजधानी का परिवर्तन । ३ तबि को मुद्रा । ४ खुरासान विजय । ५ सेना को मर््ती । ६ कराजिल पर श्राक्रकण । इसमें चौथी श्रौर पाँचवी योजनायें एक ही हैं। श्रत्य योजनाधो का उल्लेख किसी क्रप से नही किया गया है अपितु उसने इन योजनाओं के सामूहिक कुप्रभाव को स्पष्ट करने का प्रयत्न किया है । इसी प्रकार राज्य के विभिन्न विद्वोह्दो का हाल भी बिना किसी क्रम के किया है उसने केवल चार धटनाग्रों की तारीखें लिखी हैं - १ सुल्तान मुहम्मद का सिहासनारोहण ७२५ हि०१ । १ पच्यासी खलीफा का मनशूर आाप्त होना उ४6 हिं० 1 बरगी ० ६५५ तुरालक कालीन भारत माग १ ट० दे 1 बरनी पृष्ठ ४२६ तुरालक कालीन भारत भाग है पृष्ठ २६1 बरनी पृष्ठ ४६६ द तुरालुकु कालीन भारत भाग १ पृष्ठ ३६ । बरमी पू० इद८० ६४ तुगलुक कालीन मारत माग है पू० ३७ रेद । बरनी पृष्ठ ४७३ तुग्लक कालीन भारत भाग है पृष्ठ ४०-४२ । बरती पृष्ठ ४७३ ७५ तुयज्ञक कालीन भारत भाग है पृष्ठ ४२ ३ | बरनी एप्ठ ४७४५-७६ तुरालक कालीन मारत भाग र पूष्ठ अ३-इड । गरनों पृष्ठ ४७०७७ तुग्रछक कालीन भारत भाग २ बू० ४४1 बरनी पृष्ठ अ७७ लुगकक कालीन सारत साय है पू० अ५न्इ | दरनी पृष्ठ ७७ छत्द् तुराजुक कालीन मारत भाग पू० | बरतनी पृष्ठ ५६ तुगछक कालीन भारत माग है पू० रह । बरनी पृष्ठ ४६२ दुंगलक कालीन भारत भाग श पु० इु। दम दा व कद न नर न ली




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