सुमित्रानंदन पंत | Sumitranandan Pant
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
18.8 MB
कुल पष्ठ :
308
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about रामरतन भटनागर - Ramratan Bhatnagar
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)तः व्यक्तित्व ओर डष्टिकोण त्धुनिक काव्य में इतिहास में पन््त की कविता एक बड़े चमत्कार के रूप में उपस्थित होती है । द्विवेदी युग की जड़ उपदेशात्मक इतिवृत्तास्मक कविताश्रों के विरोध में उन्होंने जिस खुली - सुदी रहस्यात्मक कला पूर्ण लाच्चणिक कविताओं का श्री गणेश किया वह पिछली काव्य-परपरा से इतनी भिन्न इतनी अलग इतनी श्रागे थी कि श्राज हम उनके महत्व को पूरा -पूरा समस्त भी नहीं पाते । इन कविताओं का ऐतिहासिक सदत्व महान है क्योंकि इन्हीं के द्वारा काब्य की प्रचलित परिपाटी के विरुद्ध विद्रोह और नवीन काव्य की रूपरेखा प्रकाशित हुई । इस विद्रोह के कई रूप थे १ रीति-कालीन श्र गार् के प्रति विद्रोह शुगार-प्रिय कवियों के लिए शेष रह ही क्या गया । उनकी अपरिमिय कल्पना-शक्ति कामना के हाथों द्रौपदी के दुकूल की तरह फेलकर नायिका के तग-प्रत्यग में लिपट गई । बाल्यकाल से वृद्धावस्था-पय॑त जब तक कोई चन्द्रबदनि सूगलोचनी तरस खाकर उन्होंने बाबा न कह दे--उनकी रस- लोलुप सूचमतम दृष्टि केवल नख से लेकर शिख तक दक्षिण श्रूव से उत्तरी श्रूव तक यात्रा कर सकी ऐसी विश्वव्यापी झनुथूति इसी विराट रूप का दशन कर ये पुष्प-घनुघर कवि रति के सहाभारत में विजयी हुए । समस्त | देश की वासना के बीमत्स समुद्र को मथ कर इन्होंने कामदेव को नवजन्म-/ दान दिया वह अब सहज ही भस्म हो सकता है ? ? २ रीति-काव्य के वाह्य रूप के प्रति विद्वो । भाव और भाषा का ऐसा शुक प्रयोग राग श्र छंदो की ऐसी एक स्वर रिमसतिम उपमा तथा उत्पेक्षा की ऐसो दादुरवृत्ति श्रनुप्रास एवं तुको की. ऐसी श्रश्नांत उपल वृष्टि क्या ससार के श्रौर किसी साहित्य में मिल सकतो। हे? / ३ खड़ी बोली को नए प्रकार से नए संस्कारों में गढ़ने का प्रयोग क शब्दों के रागात्मक रूप श्रौर नादात्मक सौन्दर्य को खोजने की ग्ेष्टा 2 गि ्
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