हिंदी साहित्य का इतिहास | Hindi Sahitya Ka Etihas
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
16.6 MB
कुल पष्ठ :
401
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)“विषय्रवेश ]
तथा उपसंहार के अन्तगंत उपयोगी साहित्य, पत्र-पत्रिकाएँ, गम्भीर साहित्य में
विभाजित .कर अत्यंत विद्लेषणात्मक शैली में लेखक .ने श्रपने ग्रन्थ में सुसज्जित
किया है। २
हमारे साहित्य की सबसे बड़ी विशेषता दर्शन और धर्म के उच्च झ्रादश
के रूप में है | हृदय को परिप्कृत करने के साथ ही जीवन को पवित्र ओर
सदाचाराचुमोदित बनाने में हमारे साहित्य का बहुत बड़ा
हमारे इतिहास हाथ है, यों तो हिन्दू जीवन में दर्शन श्र घर्स में: पा्थक्य
की विशेषताएँ नहीं है | हिन्दी साहित्य के भक्ति काल में यह बात और
भी स्पष्ट है । दर्शन ही धर्म का निर्माण करता है और धरम
' ही दर्शन के लिये जीवन की पित्रता प्रस्तुत करता है । इस प्रकार दर्शन और
धर्म हमारे साहित्य के निर्माता हैं । दर्शन की जटिल विचारावली का प्रवेश तो
हमारे साहित्य में संस्कृत से हुआ तर धर्म की भावना का प्राघान्य राजनीतिक
परिस्थितियों से हुआ । एक बार धर्म की सावना के जाए्त .होते ही दर्शन के
. लिए एक.उरवंर क्षेत्र मिल गया और हमारे धार्मिक काल की कविता भक्ति की
: आइूज्ञादकारिणी भावना लिए.'अवतरित हुई । ठलसी श्रौर मीराँ की कविता ने
. हमारे साहित्य को कितना गौरवान्वित किया, यह समय ने प्रमाणित कर दिया
'है | धर्म का शासन इतने प्रधान रूप से हम साहित्य में देखते हैं कि रीतिकाल में
भी भाषा को साँजने वाले कवि धर्म के वातावरण की अवहेलना नहीं कर सकें |
नायक-नायिका भेद, नख-शिख आदि में भी राधाकृष्ण की श्रनेक.शूद्धार चेष्टाएँ
पार्थिवता के बहुत.समीप होते हुए भी प्रदर्शित हुई । धर्म के श्रालोचकों ने राधा-
कृष्ण के इस सम्बन्ध को आत्मा और परमात्मा के मिलन का रहस्यवादमय. रूप
दिया है,' यद्यपि जीवन 'की भौतिकता का निरूपण इतने नझरूप में है कि ऐसा
मानने में हमें संकोच है. । जो हो, धर्म का अधिकारपूणण प्रभाव साहित्य में स्पष्ट-
. 'तया देखते हैं । आजकल भी ब्रजभापा कविता के द्यादर्श यही राघाकृष्ण हैं । !
'. इस प्रकार चौंदहवीं शताब्दी के'प्रारम्भ से हमारे साहित्य ने दर्शन और धर्म की
सावना का संच्चित कोष प्रकारान्तर से -हमारे सामने रक््खा है, यहीं-उसकी
: प्रमुख विशेषता है ।
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