लघु उपन्यास और कहानियाँ | Laghu Upanyas Aur Kahaniya

Book Image : लघु उपन्यास और कहानियाँ  - Laghu Upanyas Aur Kahaniya

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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“हमारा तो नहीं है,” प्रोखौर में फिर कहा, “ यह जनरल साहव के भाई का कुत्ता है। अ्रभी थोडे दिन हुए, वह यहा आये है। हमारे जनरल साहब को वोर्ज़ोई जाति के कुत्तो मे कोई दिलचस्पी नहीं है; पर उनके माई साइव ! उन्हे यह नस्ल पसन्द है. ” “क्या ? जनरल साहब्न के भाई झ्राये है? व्लादीमिर इवानिच ? ” श्रचम्भे से श्रोचूमेलोव बोल उठा ; उसका चेहरा श्राह्लाद से चमक उठा। “ज़रा सोचो तो! मुझे मालूम भी नहीं * श्रभी ठदह्रेगे बया ? * “हा साहव ।”” “ज़रा सोचो; उन्होने श्रपमे भाई से मिलना चाहा श्र मुझे मालूम भी नहीं कि वह शाये हैं। तो यह उनका कुत्ता है” वहुत खुशी की बात है। इसे ले जाद... कैसा प्यारा ननहा - मुन्ना-सा कुत्ता है। इसकी उगली पर झपटा था? हा हा हा... वस बस , शव कापो मत । गुर्र गुर शैतान गुस्से में है कितना वढ़िया पिल्‍ला है! ” प्रोखोर ने कुत्ते को वुलाया और उसे श्रपने साथ लेकर टाल से चल दिया। भीड स्ूकिन पर हसने लगी। मैं तुझे ठीक कर दूगा,” श्रोचूमेलोव ने उसे धमकाया श्रौर श्रपना लवादा लपेटता हुआ वाज़ार के वीच श्रपने रास्ते घला गया । १८




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