आसोप का इतिहास | Ashop Ka Itihas

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Ashop Ka Itihas by बहादुर ठाकुर फतेह सिंह - Bahadur Thakur Fateh Singh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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॥ श्री हरि ॥। छ। १0 ४ ए ७16 ए हि छा फ ४ै। 1 के है। रह एड ३ आसोप का इतिहास । निशा माता के शो श् पड श्ड शिक्षको हू डे प्झ श्र जय झष्याय | ५ श चआसोप ठिकाना सारवाड़ जोधपुर राज्य के अन्तगत है । यह जोधपुर नगर से उत्तर दिशा में २४५ पचीस कोस की दूरी पर प्रति- छित है और जे० आर० रेलवे के गोठन स्टेशन से ७ सात कोस के न्तर पर है । इस समय यह ठिकाना कूंपावत राठोड़ों के अधिकार में है। राठोड़ वंश ्ति प्राचीन है । इसका उल्लेख महाभारत ग्रंथ में नाम से किया गया है। तदनन्तर मोयवंशी महाराजा च्यशोक की घर्माज्ञाओं में इस वंश का निर्देश रास्टिक शब्द से है। जिस अशोक का राज्य-काल इशा से पूव ९५० वर्ष के लग भग माना जाता है। तत्पश्वात्‌ सारत के दलिण भाग संबंधी दान पत्रों व शिलालेखों में राष्ट्रूट शब्द का घयोग देखने में आता है। दक्षिण में राष्ट्रकूटों का राज्य विक्रम की पांचवीं छुठी शताब्दी में और उसके पश्चात्‌ फिर नवस शताब्दी सें इद होना पायी जाता है ।




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