स्वदेश - विदेश - यात्रा | Swdesh - Videsh - Yatra
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5.59 MB
कुल पष्ठ :
193
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)० स्वदेश-विदेश-यात्रा
अनन्त नाग से जो सड़क श्रीनगर का गई है, उसके समान सुन्दर
दूसरी कोई सड़क संसार में मिलनी कठिन है । इसके दोनों ओर
गगन-स्पर्शी सफेद (पापलर) के ब््त सुव्यवस्थित रूप से पंक्ति-बद्ध.
खड़े हैं । इनके सफ़ेद तने और हरी-भरी चोटियाँ बड़ा ही मनोहर
दृश्य उपस्थित करती हैं। ऊपर स्वच्छ नीलांकाश है और नीचे.
धघूलि-रहित निर्मल समतल भूमि । ऐसा अलौकिक दृश्य देखकर.
ब्यात्मा दूप्त हो जाती है । सफ़ेदों की यह सड़क श्रीनगर से भी ३५,
मील परे बारामूला तक इसी प्रकार चली गई है ।
अनन्त नाग से कोई एक मील आगे 'खनबल' नाम का स्थान
है । यहाँ काश्मीर-नरेश का विश्नान्ति-गृह है । इसके बाहर एक पढ़ें
पर सूचना लिखी हुई है--भोटर धीरे चलाइए, महाराज चिश्ाम:
कर रहे हैं ।
अब हमारा माग जेहलम नदी के किनारे किनारे है । 'मनेक लोग
यहाँ से नाव में बैठकर श्रीनगर जाते हैं । इसमें किराया तो कम परन्तु
समय अधिक लगता है । साँक को नाव में बैठे तो दूसरे दिन सबेरे
श्रीनगर पहुँचेंगे ।
अवन्तिपुर
श्रीनगर से १६ मील दूर 'छवन्तिपुर के खेंडहर हैं। कु वप
हुए इनकी खोदाई हुई है। खोदने से पुराने मन्दिर श्रौर मकान
हर कै कक #९... ७५० कक
निकले हैं। इस नगर को ९वीं शताब्दी में राजा श्वन्तिवर्मा न
चसाया था ।
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