पृथ्वीराज रासो [भाग-५] | Prithviraj Raso [Bhag-5]

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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1 ( १७१ ) दोना का लर्डाइ | ९९३३ २७४ इस लडाइ में पाच योद्धा ओर हश्मार के दो भाइयों का मांग जाना हुम्मार का भाग जाना | २४६ पापस पुडीर के हम्मार पर गिजय पाने पर का पुडीर याद्वश्नीं ' को चातेंगी होने फा हुवम देना । रर३ेद रध७ पुडीर यश की सजनह का. ओज शरीर शाह का समाचार पाना ! थे २४८ हाहुलिराव हम्मीर का शाह के पास वहुचवार नजर देना | श्२३७ २४६. शाह की फहना कि पत्रंदी पकड़ा हुई ण्क तलगार चार के। मात करेगी २५० शाह का कांजी से भयेष्य प्रछना । र२३८ २५१ ४ आसन की सेना का हिसाय दर उसकी अपस्था 1 फ र१९ प्रथ्याराम का पुडौर पायस को शाह के पवाडन की आज्ञा देना |! २२४९ र५३ उक्त समाचार पाकर शाह का सरदार से कममें लेना । डर र५४ सरदार के शाह प्रति । रर४० र४२ शाह का पुन पथ फरना श्र सरदारी का समें स्वाना | कर र४५६ शाहउुद्दीन का सना साहत लघु पार करना । कर २५७ गहमद रुष्ल्लि का शाह से प्रतिज्ञा चारना से रश्प शाह का. चिनात्र के उस पार तक श्र जाना । सर शाहउुद्दीन का प्रथ्दीराज के पास खरीता भेजना । रद० के पत्र का झाशय । मर र६९ शाही दूत के प्रति चामइराय के मच | रदइर जहय जुयान धर बलिमद्र का वचन कि तुम नमवाध्तम हस्मीर के पर मत गरनों । २२४४ रद३ शाह के यहाँ से झ्राने वाले सरदारों के नाम शर प्रथ्यीराज का उनकों उत्तर देना । रे २२४५ २६४ सतलज पार पारके शाह का राग बदन और दिल्ली से । लौट कर गए हुए दूत का समाचार देना । रद रद५ चाहुआन सेना का बल सुन कर शाह की शक्तित होना | रद अन्य दो दूतों का आकर कहना कि राजपूत सेना वड़ी बलजन हैं । २द७ शाह के पूछने पर दूत का राजपूत सेना के सरदारों का वीन करना | २२४७ २६८ शाह का संत सरदारों को उुलाकर 0 हु सलाह करना २२४५ २६६ सरदारें का उत्तर देना कि अब की बार के श्रवर्य पकड़े ! जे २७० काजी का शाह से कहना कि मेरी बात पर वित्तास कीजिए शव की चौहान जज पकड़ा जायगा । २२४४. र७१ सब मुसमान सरदारों का बचन देना श्रोर का श्रांगि कुच कारन! | २७२ शाही सेना की तैयारी वर्सीन | २२४५० २७३ सुसज्जित शाही सेना की पावस से पूर्योपमा बसीन ! २२४१ २७४ राजप्रत सेना की तेयारी वरीन |. २५५२ २७४५ जामराय यादव का प्रथ्यारान से वाइना कि कुशल सारे रापल जी साथ में हैं। २२४३ २७६ ,पथ्पीरान का समरती जी से कइगा कि आप पीठ सेना की देख भाल कीजिए । ,; र७७ रावक्त नी का वाहन कि समर से निमुख होना धर्म नहीं है । रस्श४ र७८ रावल जी ध्वौर प्रथ्वोरान दोनों का घोडों पर सार होनी | जल र७६. रावल जी का <«प्रथ्वीराज से से




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