पृथ्वीराज रासो [भाग-५] | Prithviraj Raso [Bhag-5]
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज़ :
22.48 MB
कुल पृष्ठ :
697
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)1( १७१ )दोना का लर्डाइ | ९९३३२७४ इस लडाइ में पाच योद्धा ओर
हश्मार के दो भाइयों का मांग जाना
हुम्मार का भाग जाना |२४६ पापस पुडीर के हम्मार पर गिजय पाने
पर का पुडीर याद्वश्नीं ' को
चातेंगी होने फा हुवम देना । रर३ेदरध७ पुडीर यश की सजनह का. ओज शरीर
शाह का समाचार पाना ! थे२४८ हाहुलिराव हम्मीर का शाह के पास
वहुचवार नजर देना | श्२३७२४६. शाह की फहना कि पत्रंदी पकड़ा हुई
ण्क तलगार चार के। मात करेगी२५० शाह का कांजी से भयेष्य प्रछना । र२३८२५१ ४ आसन की सेना का हिसाय दर
उसकी अपस्था 1 फर१९ प्रथ्याराम का पुडौर पायस को शाह के
पवाडन की आज्ञा देना |! २२४९र५३ उक्त समाचार पाकर शाह का सरदार
से कममें लेना । डर
र५४ सरदार के शाह प्रति । रर४०
र४२ शाह का पुन पथ फरना श्र
सरदारी का समें स्वाना | कर
र४५६ शाहउुद्दीन का सना साहत लघु पार
करना । कर२५७ गहमद रुष्ल्लि का शाह से प्रतिज्ञा
चारना सेरश्प शाह का. चिनात्र के उस पार तक श्र
जाना ।सर शाहउुद्दीन का प्रथ्दीराज के पास खरीता
भेजना ।
रद० के पत्र का झाशय । मर
र६९ शाही दूत के प्रति चामइराय के
मच |रदइर जहय जुयान धर बलिमद्र का वचन
कि तुम नमवाध्तम हस्मीर केपर मत गरनों । २२४४
रद३ शाह के यहाँ से झ्राने वाले सरदारों के
नाम शर प्रथ्यीराज का उनकों उत्तर
देना । रे २२४५
२६४ सतलज पार पारके शाह का राग बदन
और दिल्ली से । लौट कर गए हुए दूत
का समाचार देना । रद
रद५ चाहुआन सेना का बल सुन कर शाह
की शक्तित होना |
रद अन्य दो दूतों का आकर कहना कि
राजपूत सेना वड़ी बलजन हैं ।
२द७ शाह के पूछने पर दूत का राजपूत सेना
के सरदारों का वीन करना | २२४७
२६८ शाह का संत सरदारों को उुलाकर0हुसलाह करना २२४५
२६६ सरदारें का उत्तर देना कि अब की बार
के श्रवर्य पकड़े ! जे२७० काजी का शाह से कहना कि मेरी बातपर वित्तास कीजिए शव की चौहानजज पकड़ा जायगा । २२४४.
र७१ सब मुसमान सरदारों का बचन देनाश्रोर का श्रांगि कुच कारन! |
२७२ शाही सेना की तैयारी वर्सीन | २२४५०
२७३ सुसज्जित शाही सेना की पावस सेपूर्योपमा बसीन ! २२४१
२७४ राजप्रत सेना की तेयारी वरीन |. २५५२
२७४५ जामराय यादव का प्रथ्यारान से वाइनाकि कुशल सारे रापल जी साथमें हैं। २२४३
२७६ ,पथ्पीरान का समरती जी से कइगा किआप पीठ सेना की देख भाल कीजिए । ,;
र७७ रावक्त नी का वाहन कि समर से निमुखहोना धर्म नहीं है । रस्श४
र७८ रावल जी ध्वौर प्रथ्वोरान दोनों काघोडों पर सार होनी | जल
र७६. रावल जी का <«प्रथ्वीराज से से
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