विनय कोश | Vinay-kosh

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Vinay-kosh by महावीर प्रसाद मालवीय वैद्य - Mahavir Prasad Malviya Vaidya

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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1 श्नुतापं | अनुताप-+तपन, दाद, जलन । (२) दुःख, खेद, रख । ( ३ ) पथ्चात्ताप, पछुतावा, झफूसोख । अनुदिन--नित्यप्रति, प्रतिदिन, रोज़मरों । अनुपम--झनुपमेथ, उपमा रहित, बेजोड़, बेमिस्ल, बेनज़ीर, जिसकी बराबरी का दूसरा न हो, लासानी | नुपमेय--अनजुपम, उपमा रहित, बेनज़ीर । . जुपान--ओषधि का सहकारी, दवा का सहयोगी वह वस्तु जो झोषधि के साथ वा ऊपर से खाइ जाय । शनुबन्ध--संखग, लगाव, चन्घन । (२) श्रारस्भ, उत्थान,शुरू | (३) अझनुसरणु,साथ साथ चलना, पीछे चलना | (४) झादि अन्त, योग्यायोग्य, व््ागापी छाए। (५) व्याकरण मेँ चह प्रत्यय का लोप होनेवाला इत्संज्ञक साजझेतिक वणु जो गुण श्द्धि दि के लिये उपयोगी हो । (६) बात, पित्त झ्ौर कफ में से जो अझप्रधान हो । (७) वेदान्त में एक एक विषय का झधिकरण । ब्नुभये--उत्पन्न हुए, उपजे, भये | झनुभव-उपलब्ध ज्ञान, तजरबा; परीक्षा द्वारा प्राप्त ज्ञान । (२) स्सृति भिन्न ज्ञान, वह ज्ञान जो साक्षातू करने से प्राप्त हे, करने से पदाथ ज्ञान । ( ३ ) ज्ञान, विवेक, समझदारी । _ झनुभवगस्य--उपलब्ध ज्ञान से प्राप्य, परीक्षा द्वारा मिला हुआ ज्ञान, जो समभदारी तजरबा करने से प्राप्त हा । चुभवति-श्रनुभव करती है, बोघ करती है जिसने देख सुन कर जानकारों प्राप्त की हे अनुभवे-शझवुभव किया, देख सुन कर स्वयमू _ करके जाना, तजरबा किया । अनुभवे--झनुभव हे, जान कारी हे, तजरबा हे। (२) जान पड़े, समझ में आवे, सूझे । अनुमत--झआाज्ञा, अजुज्ञा, हुक्म । अनुमति--सस्मति,ख़लाह,राय। (२) झाज्ञा,अनुज्ञा हुक्म ,इजाजुत (३) चतुद्शी युक्त पूर्णिमा, वह पूर्णिमा तिथि जिसमें चन्द्रमा की कला पूरी न हे। (६६ 9 शनमुप | अनुमान--विचार, भावना, झंटकल, झन्दाजा, कयास । ः अनजुयायी--अचजुगामी, अनजुग, पीछे चलनेवाला । (२) सेवक, दास, झजुचर । 'नुरक्त--प्रेम युक्त, झासक्त, अनुरागी । (२) लीन; लवलीन, आशिक । अजुराग--प्रेम, स्नेह, सूहब्बत । अनुरूप--सदश, समान, सरीखा, तुल्य रुप का | (२) अनुकूल, उपयुक्त, याग्य । अनुव्ती--झअजुगामी, झजुयायी, अचुसरण करने वाला, पीछे चलनेवाला । (२) सेघक, दास, चाकर। अनुशासन--झाज्ञा, आदेश,हुक्म | (२) उपदेश,शि- चा, खिखावन । (३) व्याख्यान,वक्त ता,विवरणु । झनुसन्घान--झन्वेषण, खोज, ढढ़, जाचपड़- ताल, तलाश, तहदकौकात 1 (२ ) चेष्टा, प्रयत्न, काशिश । (३ ) अजुगमन, पश्चादू गमन पीछे लगना ॥ झूनुखर--झनुसार, समान, एकरूप | चुसार--झनुकूल, सदश, समान, मुझाफिक, अन्ुद्दार, एकरूप । अनुखत्य--अनुसरण, अजुकरण, पीछे जाना । (२) प्रतिच्छाया, प्रतिलिपि, नकल | अनुदर--अचुद्दार, श्रछुकूल, येाग्य । अनुददरत-शनुकूल, उपयुक्त, येग्य। (२) अचु- सार, सदश, समान | झअनुददार--झनुसार, सदश, समान, सरीखा, एक- रुप, तुल्य, मुझाफ़िकू । (२) प्रकार, भेद, तरदद । (३) आकति, बनावट, गढ़न । झनुहारि-झनुसखार, अनुकूल, मुताबिक । (२) समान, तुर्य, बराबर '। (३) उप युक्त, येग्य, लायक । (४) आछऊति, चेहरा, सुखानी ।'.. अनूठा--झपूचं, विलक्तण, विचित्र, अद्भुत ब्प्र्नो खा, झजीब। (२) सुन्दर, अच्छा, बढ़िया । अनूप--झनुपम, उपमा रहित, अद्वितीय, बेजोड़ । (२) जलप्राय देश, वह स्थान जहाँ जल अधिक हे । (३) महिषी, भेस ।




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