वैदिक वाङ्मय का इतिहास भाग 1 | Vedic Vangmaya Ka Itihas Bhag-i
श्रेणी : पौराणिक / Mythological
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4.62 MB
कुल पष्ठ :
312
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about पं. भगवद्दत्त - Pt. Bhagavadatta
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१० वैदिक वाझाय का इतिहास मधम भाग अर्थाव्--इन्द देवता सपधी रहस्यमयी महानाश्री ऋचा जॉं कोजो जपता है यह सदखयुग पर्वन्त रहने याले श्रह्मा के एफ दिन को प्राप्त होता है इस श्ठोफ के उत्तरार्ध का पाठ स्वल्प पाठान्तरा के साथ भगवद्दीता ८१७ निरुक १४१४॥ और मनुस्पति १७३ में मिठता है 1 इस के पाठ से स्पप्ठ ज्ञात होता है कि इस ग्रन्थ का लेंसक जानता था कि एक ब्राह्मदिन मे फितने ये होते है। अत उसको प्रत्येक युग के वर्षो की गणना का ज्ञान भी अवदय था। ध्यान रहे कि वृहददेवता का यह श्लोक अध्यापक मैकडानल निर्धारित उस वी दोर्मा शासाओं में मिलता है और किसी प्रकार भी प्रशिसत नहीं कहा जा सकता | मनुस्पूति इस बृह्देवता से कही पहले की है । पाश्चात्य विचार वाले इस मनुस्मृति को ईसा वी पहली दाताब्दी के समीप फा मानते हैं । परन्तु यद्द ब्रात नितान्त अयुक्त है । याशवद्क्य स्मृति कौटल्य नर्थगाख्र से कहीं पहले की है | तथा कौटर्य अर्थशास्त्र चन्द्रगुस के जमात्य चाणक्य की ही कृति है । और मनुस्पृति तो याशयव्क्य स्ूति से यहुत पहले वी है । उस मनुस्यति के आरम्भ में युगों युगनामों और प्रत्येक युग के ब्पों की सख्या का तथा कल्प आदि की गणना का यडा विस्तृत वर्णन है । अत फ्लीट का यह छेस फि कलि के ३९०० वर्ष पश्चात् यहा के उयोतिपियों ने युगों के वर्षों की गणना स्थिर करके कि सबत् का गिनना आरम्भ कर दिया सर्वथा भूल है प--लुलना करो--बिएस्कलण एक 9४ ए है छत. आपध्डिर हा 2 10उउ ए 20 १2 रे--देखो वाईस्पत्य सूत्र वी मेरी भूमिका पु ४-७1 धघर्मेशास्नर का इतिहास ल्सनेयाले श्री पाण्ड्रह वामन काणे अपने इतिहास सन् १९३० के प्र० १४८ पर लिखते हैं-- पुफिडइस७ ३६ शाए5 9७. फाहडपाएटतं हो साठ पडिशपन्ापााात फिशतें ध५21060 63 फाश्डछाप कण 80 16835 960९ धिंह 2पसें टला &. 0 यीत्--ईसा की दूसरी शताब्दी से पूरवे हो मजुस्पति इस यर्तमान स्य में आ गई थी। अतः फ्लीट महाशय का यह कइना कि युगों का वर्पमान इंसा की चौंथी शताब्दी में चला एक भेयइर भूल है| हम तो व्मान सनुस्मति को बहुत पहले का मानते हें
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Bhavesh
at 2019-11-17 05:54:30"No review"