शाकटायनं व्याकरण | Shakataayann Vyaakaran
श्रेणी : भाषा / Language
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
35.98 MB
कुल पष्ठ :
516
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about पं. ज्येष्ठाराममुकुन्द जी शर्मा - Jyeshtha Ram Mukunda Ji Sharma
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१० हिंदीप्रस्तविना. इसके छतिरिक्त महामुनि श्रीशाफटायनाचायके बनाये हुये उणादि खूघका अधिकार तो सब ही बैयाकरणोनि स्वीकार किया है। फाणि- निमद्दाराजने भी उणादिबहुछ एतावन्मात्र सूत्र बनाकर शाकटायनके उणादिसूलरपाठको स्वीकार किया है अंथात् उन्होनें कोई नया उणादिसूत- पाठ नहिं रचा ।-इससे विद्वज्जनोंकी झाकटायनाचायेका शाब्दिकाअगण्यत्व स्पष्टतया ज्ञात होगा । -इस -उणादिसूत्रपाठपर उज्वल्दत्त माधवाचाये शाद्विनें टीका भी रची हैं । बोपदेवनें कबिकल्पट्ठुममें भी इन्द्र चन्द्र काशकृतन आपि- झलि शाकटायन पाणिनि अमर और जेनेंद्र इन आठ आचार्योको वैयाकरणोंमें प्रधान मानकर इनका जय मनाया है -यथा-- इन्द्रश्वह्ः काशकूत्स्सापिदा लि दाकटायमः । पाणिन्यमर जे नेन्द्रा जरन्सछादिंदा्द्का। ॥। चरन्तु शाकटायंग व्याकरण केवठमात्र इन्द्र सिद्धनन्दी और आंयेवज़ इन तीन ही आरायोका नामोछेख हुवा है जो कि ये तीनों ही आचाये जैन थे । क्योंकि दिगंबरलैसाचार्योका नियम है कि वे अपने अन्श्की पुष्टिकेलिये मिज्नघमोघठर्म्बीके. अन्थका प्रमाण क्दापि नहिं ठेते ओर न भिन्नघमोवठर्म्बीके श्रन्थपर टीका ही करते हैं ॥ इंसपरसे इन श्रीशा- क्टायनाचायेको वैदिक मानना निमूल है सो विद्वारनेको विचारना ववादिये। इस शब्दानुशासनपर निम्नछिखिट टीकार्थ मिठती हैं ॥ १ अमोघबत्ति।-- यदद पाणिनीयव्याकरणकी कांशिकावूंति की संमान विस्तृत और विशदे महांवृत्ति है १ जैनेन्द्रस्वामीके अपरनाम देवनंदी और पृज्यपाद अधिक प्रसिद्ध दैं। इनका बनाया डुबा व्याकरण भी अनेक टाकाओं -सद्ित #िदयमान है ॥॥। २ इन आठटों बेयाकरणोंमेंसे पाणिनिके. अतिरिक्त शेष वैयाकरणाचार्य जेस और बौद्ध दी सिद्ध द्वोते दें ॥
User Reviews
No Reviews | Add Yours...