महर्षि दयानन्द और महात्मा गांधी | Maharshi Dayanand Aur Mahatma Gandhi

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Maharshi Dayanand Aur Mahatma Gandhi by धर्मदेव - Dharmdev

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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११ ्रथातू जद्दां तक हो सके वहां तक अन्य।यकारियों के बल की हानि और न्यायकारियों के वल की उन्नति सबंधा किया करे इसे काम में चाहें उसको कितना ही घना दुःख प्राप्त हो चाहें प्राण भी भले ही जावें परन्तु इस मनुष्यपन रूप धर्म से प्रथक्‌ कभी न होवें | सत्यार्थप्रकाश--रंवमन्तव्यामन्तव्य प्रकाश १२ धर्मात्माओं का लक्ष्य । १७ ए हि वे दी धर्मास्मा जन है जो अपने ्ात्मा के सहश सम्पूर्ण प्राणियों को माने किसी से भी छ्ष न करे और मित्र के सदश सब का सदा उपकार करें । यजुर्वेद भाष्य ३६। १८ भावाथे




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