तंत्र - महाविज्ञान खंड 2 | Tantar Mahavigyan Khand 2

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Book Image : तंत्र - महाविज्ञान खंड 2  - Tantar Mahavigyan Khand 2

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जन्म:-

20 सितंबर 1911, आँवल खेड़ा , आगरा, संयुक्त प्रांत, ब्रिटिश भारत (वर्तमान उत्तर प्रदेश, भारत)

मृत्यु :-

2 जून 1990 (आयु 78 वर्ष) , हरिद्वार, भारत

अन्य नाम :-

श्री राम मत, गुरुदेव, वेदमूर्ति, आचार्य, युग ऋषि, तपोनिष्ठ, गुरुजी

आचार्य श्रीराम शर्मा जी को अखिल विश्व गायत्री परिवार (AWGP) के संस्थापक और संरक्षक के रूप में जाना जाता है |

गृहनगर :- आंवल खेड़ा , आगरा, उत्तर प्रदेश, भारत

पत्नी :- भगवती देवी शर्मा

श्रीराम शर्मा (20 सितंबर 1911– 2 जून 1990) एक समाज सुधारक, एक दार्शनिक, और "ऑल वर्ल्ड गायत्री परिवार" के संस्थापक थे, जिसका मुख्यालय शांतिकुंज, हरिद्वार, भारत में है। उन्हें गायत्री प

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१६] [ तन्त्र-विज्ञान ग्रन्थ की है, जिसमे पाँच ध्यानी बुद्धो को उपासता का निर्देश दिया गया है। इन ध्यानी बुद्धो की श्रलग-लग शक्तियों का वन श्राता है ) बौद्ध मत्त से-- 'प्रज्ञापारमित्ता' की देवी के रूप में उपासना होती है, जिसके सम्बन्ध में मान्यता है कि वह ज्ञान प्रोर बुद्धि को प्रदान करने वालो है । वह सी भ्राद्याश्चवित ही है | बोद्धो में 'तार” की उपासना भी दावित को उपासना ही है । हिन्दू प्रौर बौद्ध-तन्तरों की शक्र्ति-उपासना में साम्य है, केवल शब्दों का श्रन्तर है । हिंदू घर्म में निसे शक्ति के नाम से सम्बोधित किया है, उसे बौद्ध धर्म में 'शुन्य' की सज्ञा दी गई है । उनकी मान्यता है कि यह दून्य ही विज्ञान श्रोर सुव-दास्ति का प्रदाता । यही सृष्टि का बारण है श्रोर इसी मे सब कुछ लय हो जाता हे । ब्राह्मणों ध्रौर बौद्धो के दशनश्ास्त्र व झाचारशास्त्र में भी साम्य हुष्टि- गोचर होता है । ब्राह्मणों को 'वाराही' श्रौर 'दरशिडनी' के साथ 'वख्- बाराही' मिलती-जुलती है । साधना-पद्धति भी एक जेसी ही है । ब्राह्मण श्रीर बौद्ध प्रयाव भोकार-साधना को 'तार' कहते हैं। ६प देवता की पत्नी का नाम 'तारा' है । वौद्धो की इस तारा देवी के सम्बन्ध में काफी सस्कत साहित्य लिखा गया है । तारा के सम्बन्ध में ३३ सस्कत ग्रय उपलब्ध बताए जाते हैं, जिनमे तारा-ठ पासना-पद्धति के प्रत्पेक थ्रद्ध पर विस्तृत विवेचन है । यह 'तारादेवी' महायान सम्प्रदाय की है । हीनयान सम्प्रदाय की 'मशिमेखला' देवी है । श्रीलका और श्याम में इसकी उपासना होती है । वहाँ इसे समुद्र की देवी के रूप में मानते हैं, जो तुफानो से रक्षा करने वाली है । हिन्दू घम में जैसे शिव-शक्ति का जोड़ा है, वैसे ही बौद्ध घ्मे में तार तारा का जोड़ा है, उनके गण एक जंसे ही है। यह साधना बौद्ध घर्म के सिद्धान्तो के विरुद्ध थी परन्तु ऐसा लगता है कि वौद्ध साधक कठोर नियमों से तग श्रा चुके थे श्रौर वह किसी सरल




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