क्रांति चिरजीवी हो | Kranti Chirjivi Ho
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
190
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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हंटान्क्ट्रा सवयुवक जेलें की बेरक मे बन्द था । गौर वश, गठीला
शरीर, लम्बे लग्वे काले बाल | थे सच जसकी शारोरिक समत्ति थे ।
चिचार उम्र थे । बह श्रपने छाप को क्रास्तिकारी समभाता था । शापने
देश की स्वतन्त्रता की झग्नि में पढ़कर वह छस्दन बनने की यरने कर
रहा था । जेल की 'घार दीवारी में भो उसके स्वतस्तर विचार क्रिया-
शील हो उठे । उसे स्परण से रहा कि बह १॥| बंप के कठोर कारन
चास का समय ब्यतीत करने वाला एक मन्दी हैं । मस्तिष्क में विचार
3ठे । मावनायें जाणत हो उठी । दगीठी का जला कोयला उठाकर
उसने बेरक की लगी दीवार पर लिख. दिया. 002 1198
पिनस्ण प्रति , क्राति चिरनीवी हो |
युवक मुश्करामा । उतने उपरोक्त पत्तियों को श्पनी अआराध्य
देपी मान लिया । दोनो हाथ मस्तक पर लगाये । भड्धा से दीवार की
फाली पंक्तियां को नमस्कार किया | छोटी सी कोटरी में साठूभूमि की
वंदना की श्रौर एक पद सुश्काम के साथ काला कम्बल विल्ला उस पर
सादी की फटी घीती ढाल बेठ गया ।
भ्द नर न
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