केशव कौमुदी | Keshav Kaumudi
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
13 MB
कुल पष्ठ :
630
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्रकाशक के दो शब्द...
हिन्दी-साहिस्य-संसार में कविदर' केशवयासभी “का
जो स्थान है तथा उनकी रचनाओं में, रामचन्द्रिका को जो ,
सम्मान है; घट दिन्दी *सापा-मापियां 'से '' अविदिते “नही 1
अपने महत्व और उन्कप के ही कारण इस: ग्रन्थने : दिन्दी-
सादिस्य की प्रायः सभी ऊँची परीक्षाओं के पाठ्य अन्य में
सर्द स्थान पाया हैं भार इस कारण से दी हिन्दी-साहित्यन
छघ में इसकी कई टीकाएं विधंमाव हैं ।: फिंन्तु) खेद है
कि य सभी टीकाएं, पुरानी दंग की मोर घ्ंजमापा में “हानि
के कारण, घिद्याथियां लोर साधारण पाटक। को के. दषकी
कविता का असली मजा चंखाने मे जसमरधनसा ४।:.
इसी फर्मी की शीघ्र पूर्ति करने फे लिए, हमारे पास
हिन्दी-सादित्यके ठब्घमा सिष्ठ विज्ञानो और साहित्यप्रेियों
के अनेक साप्रद-सुंचक पत्र तथी से आरदें हूं जब से इस
ग्न्पन्ाला के प्रथम पुष्प, दिद्दासे वाधिनी का सांहिरय-झद
साधिभोप हुआ । इस कारण से दी अन्यास्य उसम ' म्रंदे।
कर प्रकाशन रोककर प्रस्तुत टीका इसेमी शीघ्ताक सर
प्रकादित करके झापलोगो के सम्सुख छायी 'शपी है।- इश
धात पर प्राय! सभी नक्रिसीन शोर दिया है कि टीका दर
पाठ-साहित, सश्ज, :सुचोध सधा इस दंग की दोनों लाड
जा सादिव्यन्सम्मेछन सादिकी परीक्षानों के परीक्ाधिय
फे लिये पंधिक उपयोगी हो लीर जिसमें पुस्तक में समाधि
समी शातथ्य दातो करे पुरा दिदेवन और स्पष्ट ध्याश्या है?
प्रस्तुत सीका में उपयुक्त शुण जाये हूं था धहों,
कराव+-काब्य-सधा फपिपाए भा की कद भी प्पास छह सकेर
था नहीं; इसी परीक्षा फाब्य-मंमेश लन स्वयं करें। हु
पर हुम कुछ चरुप्य भी 1 यदि टीका चस्तुतर “रो 2
पा लिए उपचागा-्तात हुई, जार याद इस से 'हदित
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