स्वतंत्रता संग्राम के 90 वर्ष | Swatantrata Sangram Ke 90 Varsh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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[ २. _ प्रधान देश में इससे आधे मजदूर हैं ! )। ये मजदूर मिलों, फेक्टरियों तथा और दूसरी जगहों में काम करते हैं। ढाई करोड़ में से दो करोड़ ऐसे हैं जो बहुत छोटे कारखानों में काम करते हैं । यहाँ धर्म और जातियाँ भी वहुत हैं । प्रधान तो हिन्दू और मुसलमान ही हैं । परन्तु सिकखों, इसाइयों ओर घर्म और जातियाँ पारसियों को संख्या कम होते हुये भी राज- नीतिक दृष्टि से उनका महत्व कम नहीं हैं । हिन्दू क़रीब ३१ करोड़ हैं। इनमें ६ करोड़ अछूत भी शामिल हैं । मुसलमानों की तायदाद करीब ९ करोड़ हैं। इनमें धार्मिक कट्टरपन हे । इनमें चार प्रधान वग हैं--सुन्नी; शिया, खोजा और वोहरा । इनमें से बहुतों के ऊपर हिन्दू संस्कृति का असर पड़ा है। सच तो यह है कि पिछले एक हज़ार वर्षों के सहजीवन ने दोनों में एक हद तक सांस्कृतिक एकता ला दी है। विशेष कर गाँवों में हिन्दू मुसलमान में भेद करना अक्सर मुश्किल हो जाता है। हिन्दू और मुसलमानों में मूलतया कोई भगड़ा नहीं है। परन्तु साम्प्रदायिक नेताओं ने स्वाथ वश दोनों में मनमुटाव पैदा कर दिया है । इसका विपद्‌ वणन आगे आयेगा । सिक्ख संख्या में बहुत कम हैं । इनके अन्दर एकता है और अपने “ग्रन्थ साहब' पर अटूट विश्वास है । इसाई और पारसी भी संख्या में बहुत कम हैं। पारसी ज़ोरोआस्टर के मानने वाले हैं और आग की पूजा करते हैं । ये अधिकतर व्यापारी होते हैं । टाटा ्याइरन वक्‍्स इन्हीं का है ।




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