ताण्ड्य महा ब्रह्माण्ड का सांस्कृतिक अध्ययन | Taandya Maha Brahmand Kaa Saanskritik Addhyayan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
55 MB
कुल पष्ठ :
255
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)हनन,
| वक
वेद चार हैं. प्रत्येक वेद की अपनी अलग -अलग साहिताश है |
भग्पेद को 21 सीहतारँ बताई. गई हैं, फिन्तु इसकी इस समय 1 सीता ही
उपलब्ध है। पन्सका नाम है-शाकल सीता, इसकी भी पाँव शाजाएँ है।शाकल
संहिता के तीन वक्माग है-मंडक,अनुवाक और वर्ग , इन्हें अष्टक अध्याय और
सुनक मो कहते है। समग्र सँहता मैं 10 मंडल तथा 85 अनुाक है तथा 2008वर्ग
ह। इस तरह 8 अण्टक, 54 अध्याय और 1018 ुक््तठहरते हैं।
यणवद सीहता
दूसरा वेद युर्वेद है। युष शब्द का अर्थ पूजा शव राज्ञ है, जिस
प्रकार भ्ग्येद के मंत्रों का विषय देवताओं का आवाहन करना अर्थात् बुलाना है
उसो प्रकार यछुवद के मंत्रों का धिषय यक्ञ विधियों को सम्पन्न करना है। यह
वेद कमेकाण्ड प्रधान है। य्ञ अनकेिध हैं। देवताओं को प्रसन्नता के पलिश को
का विधान है, पकस यक्न में गैकन-किन मंत्रों का व्यवहार ककया जाना वाह,
इसकी 1वाधियाँ यपु्वेद मैं वर्णित हैं। ऐसे मंत्रों के संग्रह का नाम ही. “यजुवद सी हता”
है।
पक्माग और शाखा एँ
यणुवेद के दो भाग हैं-कृष्ण और शुक्ल छन्दो वद्ठ मंत्र और गधा त्मक
वानियोगों के सामिश्रण के कारण पहले भाग का नाम कृष्ण और छएंदीबद्द मंत्रों तथा
न्च्क
वविनियोगों के अभाव मैं दूसरे भाग का नाम ुक्त पड़ शुक्ल युवद के संदंध मैं
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