सरल राजस्व | Saral Rajasv
श्रेणी : हिंदी / Hindi
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
13 MB
कुल पष्ठ :
160
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)दूसरा अध्याय
सरकारी व्यय के सिद्धान्त
उन्नाव पहुँचकर सोदन को बहुत श्रानन्द प्रात हुआ | महीनों
बाद वह झपने घर शाया था । जिस मुददल्ले में उसका घर था, उसमें,
सड़क के किनारे पर ही, एक नयी कोठी बन गयी थी | जिस समय वह
घर से प्रयाग गया था, उस समय वहीं एक मकान बिल्कुल खैंडहर
को दशा में गिरा पड़ा हुआ था । कोठी देखकर उसे बड़ा श्राश्चर्यर्य
हुआ । उसके मन में उसी समय एक विचार उत्पन्न हुआ । उसने
सोचा--बड़े होने पर, जब मैं यथेष्ट रुपया पैदा कर लगा, तब ऐसी
दी एक सुन्दर कोठी मैं भी बनवाऊँगा | क
बिहारी बाबू बैठक में पलैंग पर बैठे हुए पान लगा रहे थे, मोहन
डा-खड़ा सड़क की थोर देख रदा था । बि्दारी ने पान खाते हुए
लक्ष्य किया कि मोइन कुछ सोच रहा है | तब उन्होंने पूछा--मोहन,
तुम क्या सोच रहे हो ?
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