पद्मिनी चरित्र चौपाई | Padhini Charitra Chopai
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
295
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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शोस के यहाँ पहुंची । उसने बादल को भी तंयार किया ।
पॉच सौ डोलियाँ तेयार हुई और एक एक डोली में पॉच-पाँच
आदमी बंठे । बादल ने रवयं पदूमिनी का रूप धारण किया;
और राजा को बचा ले गया । शोरा युद्ध में काम आया |
सबत् १६४५ में जन कवि देमरतन ने महाराणा प्रताप के
राज्यकाछ में इस वीर गाथा की अपने शब्दों में पुनरावृत्ति
की । '“स्वामिधम' का प्रचार सम्भवतः इस नव्य रचना का
मुख्य लक्ष्य था इसी कथा का परिवर्धन संवत् १७६० में भाग-
विजय नाम के अन्य जेन कवि ने किया * ।
जटमढ नाहर रचित 'गोरा बादल चोपई भी इस प्रंथ में
प्रकाशित हो रही है । इसका रचनाकाल बि० सं० १६८० है ।
कथा में कुछ द्रव्य बातें ये है :--
(क.) चित्तोड़ का राजा रतनसेन चौहान हे ।
(ख) एक भाट से पदुमिनी के विषय में सुनकर वह सिंह
जाने का निश्चय करता है |
(ग) सिंहठराज ने बिना किसी आपत्ति के रतनसेन और
पदूमावती का विवाह कर दिया और राघवबचेतन
को उसके साथ चित्तोड़ भेजा ।
१--देखें इस संभ्र के प्र०१८९-१२८
२--ूदेखें शोधपत्रिका साग ३» अड २ पृष्ठ १०५-११४ पर
श्री भगरचन्द नाइटा का लेख ।
३-० १८४९-३०८
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