मौलाना गाँधी | Moulana-gandhi
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
75
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)मोलाना गांधी ं १३
मुंशी; टंडनजी, संपूर्णानंद जी; पं० बालकृष्ण शर्मा, झाचायें
नरेंद्रदेव झादि-झादि भी राष्ट्रीय नेता हैं; जिन्होंने कांग्रेस
झौर देश की सेवा में अपने बाल सुखोए हैं । उन्हें भी बोलने
का झधिकार है । क्या वे हिंदुस्तानी-प्रचार-सभा के सिद्धांतों
से सहमत हैं ? फिर, भाषा का प्रश्न राजनीतिक प्रश्न नहीं;
राष्ट्रीय नेताओं” की कृपा से बना भले ही दिया गया हो ।
ईिंदी को राजनीति के दाँव-पेंच का शिकार नहीं बनने दिया
जा सकता । राष्ट्-भाषा के प्रश्न पर भाषा-विशेषज्ञों को भी
बोलने का पूरा-पूरा अधिकार है । जो “राष्ट्रीय नेता'
हिंदुस्तानी का ढोल पीटते हैँ, उनमें से कितने भाषा-विशेषज्ञ
हैं, अथवा साहित्यिक ही हैं ? श्रौर; जो “राष्ट्रीय नेता' गाल
बजाते फिरते हैं. कि 'दहिंदुस्तानी' ऐसी होनी चाहिए; वेखी
होनी चाहिए, ऐसी 'हिंदुस्तानी' बोली जाती है; वेसी
'हिंदुस्तानी' बोली जाती है; उनमें से कितनों की सात॒भाषा
'हिंदुस्तानी' है; अथवा कितनों को 'हिंदुस्तानी”-प्रदेश में “जन्म
लेने और रहने का सौभाग्य या दुभौग्य प्राप्त हुआ है?
क्या 'राष्टीय नेताओं” ने झपने 'एक भाषा; दो लिपि'वाले
सिद्धांत को भाषा-विशेषज्ञों से जेंचवाने का कष्ट किया है कि
यह संभव भी है या नददीं ? ( डॉ० सुनीतिकुमार चटर्जी को.
ही सुन हों । ) विज्ञान का मामला होता है; तो राष्टीय नेता
वैज्ञानिकों से पूछते हैँ, छथ-शास्त्र की कोई समस्या दोतों है;
तो छथं-शास्त्रियों की कमेटी बेठाते हैं; फिर राष्ट्र-भाषा
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