महिलाओ से | Mahilawon Se

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Mahilawon Se by महात्मा गांधी - Mahatma Gandhi

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about मोहनदास करमचंद गांधी - Mohandas Karamchand Gandhi ( Mahatma Gandhi )

Add Infomation AboutMohandas Karamchand Gandhi ( Mahatma Gandhi )

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
१६... ........ सहिलाओं से पा गा प्रकार का सन्देह नहीं किया जाता | कतंब्य के विचार से वह यह आवश्यक 'नहीं सपकता कि अपनी पत्नी की इच्छाओं का भी उसे ध्यान रखना _ चाहिये; वह पत्नी को जिसे झ्रपने पति के विचारों से ही रहना पढ़ता है प्राय: श्रपनी इच्छाश्रों को दबाना पढ़ता है । मेरे विचार से यह समस्या इछ की जा सकती है । मीराबाई ने हमें इसका हढ बताया है। पत्नी _ को झपने विचारों के झ्नुसार चलने का पूर्ण अधिकार है श्रौर सृूदुछ बनकर तथा निर्मय होकर किसी भी परिणाम के लिये उद्यत रहना. चाहिये जब कि उसे विश्वास हो कि उसका निश्चय न्याययुक्त है और बह . एक उच्च झामिप्राय के लिये पति के सम्मुख झड़ गयी है । तीसरा प्रश्न “पर कि :...... यदि पति मांसभक्षी है श्र पत्नी मांस खाना पाप समझती है तो ः [के क्या पत्नी को झपने ही विचारों के आधार पर चलना चाहिये ! :..... कया उसे प्रमयुक्त उपायों से पति द्वारा मांसमक्ुण अथवा इसी प्रकार. : के उसके शन्य कार्य छुटाना चाहिये ? शरथवा कया वह पति के छिये मांस . पक्ाने के लिये बाध्य है या इससे भी पतित कार्य श्रर्थात्‌ यदि पति उसे मांस खाने के लिये कहे तो क्या बह मांस खाने के लिये बाध्य है ? यदि आप यह कहते हैं कि पत्नी को आपने विचारानुकल चलना चाहिये तो एक . सम्मिलित छुट्टम्ब इस दशा में कैसे चल सकता है जब्र कि एक तो दूसरे को नि पट लीन




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now