वनस्पति कोश | Vanspati Kosh
श्रेणी : स्वास्थ्य / Health
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3.87 MB
कुल पष्ठ :
94
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about सुधांशु कुमार जैन - Sudhansu Kumar Jain
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१७ कुछ स्थानों पर पौधे के नाम की बजाय उससे घाप्त उपयोगी पदार्थ का नाम दिया गया है जैसे--वंसलोचन सोंठ आदि | जहाँ दो अथवा दो से अधिक विभिन्न जाति एवं प्रकार के पौधे एक ही देशी नाम से पुकारे जाते हैं कोश में ऐसे देकी सलाम अलग-अलग दिए हैं । ः कुछ सुख्य फसलों जैसे--गेहूँ जवार चावल आदि की अनेक किसमें जातियाँ 56८०५ उपजात्तियाँ 2ए७५छ७०४५ प्रजातियाँ घापंटि5 तथा प्रकार 0४ भारत के भिन्न भागों में उगाई जाती हैं । उन सबका वर्णन यहाँ संभव नहीं था उनमें से एक-दो किस्मों के नाम यहाँ दिए हैं 1 बहुत-से पौधों के नाम एक दाब्द-विशेष के साथ भिन्न विशेषण जोड़ कर दिए जाते हैं जैसे--काली सूसली सफ़ेद सुसली बंदगोभी साँठगोभी फूलगोभी आदि । कोदा में ऐसे शिनन नाम मुख्य दाव्द के नीचे ही दिए हैं अर्थात् भूसली झव्द पर आधारित सब नास भूसली के नीचे दिए हैं 1 सब प्रकार की गोभी गोभी दान्द के अन्तगंत दी गई है । पौधों के चहुत-से नामों का अपभ्रष हो गया है और भिन्न पुस्तकों में उनके भिन्न छ्िज्जे प्रयोग हुए हैं जैसे--असगंघ असगंघा अदागंघा अच्वगंघा गमादि | कोस्त में प्रायः वह हिज्जे दिए हैं जो वनौषधि चन्द्रोदय अथवा हिस्दी कोदों ने अपनाए हैं । कुछ पौधों को साधारण जनता भंप्रेज़ी नामों से अधिक मच्छी तरह जानती है जैसे-एजूट । ऐसे शब्द कोश में अपना लिए गए हैँ । हिन्दी अथवा ह्िस्टुस्तानी चामों के उपरांत पौघे के उपयोग का संक्षिप्त में संकेत है । भारतीय पौधों के गुण-दोप पर वृहत् साहित्य हिल््दी में है और उस विषय पर यहाँ लिखने का आदाय नहीं है । अधिकांदा उपयोगी पौधे कई प्रकार से प्रयोग में लाए जाते हैं । इनमें से जो मुख्य उपयोग पौधों के हैं केवरू उन्हीं को छोटे दाव्दों या संकेताक्षरों द्वारा यहाँ दिखाया है । संकेताक्षरों की सूची पृ० १८ पर दी हुई है । तडुपरांत पौधे का लटिन नाम दिया है । पहले स्वीकृत लटिन नाम देवनागरी लिपि में लिखा है । इससे पाठक लैटिन नाम का सही उच्चारण जान सकेंगे । उसके उपरांत लेटिन नाम जंग्रेज़ी लिपि में दिया है । पौघें का नाम रोमन छपाई में है और इस नाम को देने वाले वैज्ञानिक का नाम इटेलिक छपाई में । गुरुकोष्ठक के अन्दर इटेलिक छपाई में कुछ अधिक प्रचलित किन्तु अस्वीकृत रद्द लैटिन नाम दिए हैं । भौषघीय पौंघों से सम्बन्धित बहुत-से साहित्य में जे अस्वीकृत नाम आते रहे हैं । इनको यहाँ देना उपयोगी एवं मावद्यक था । यहाँ वैज्ञानिकों के नाम. रोमन छपाई में हैं । पुस्तक के मन्व में दी हुई परिदिष्ट सूची नं० र में वे सभी स्वीकृत तथा मस्वीकृत वंकों के लैटिन नाम जो कोश में भा गए हैं चर्णक्रम के अनुसार
User Reviews
No Reviews | Add Yours...