किसान - राज | Kisaan Raaj

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Kisaan Raaj by कृष्णदत्त पालीवाल - Krishan paliwal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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किसान-गुण -गाधा 4 कि कहां जार बनी चीनी हा जी बीज ऋी आधा » करी गज ना टाल बा -शाच्या जा रन बजा जा च्ााण धान अजय जग पपि न न पएकेट पेनानायथट जलवव्यक मानते हैं । बोरीसन का कहना है कि रूस के किसानां ने अपने द्रव सन्त-निकोलस से पूछा--'प्यारे निकोलस, भूमि, खेत और ग्राम, किसके होने चाहिये ।' देवता ने उत्तर दिया--'मरे भाइयों और बेटो, तुम्हारे और केवल तुम्हारे ।' प्रधिवो-पुत्र होने के कारण किसान तथ्यों को ही नद्दीं सत्य को भी देखता है । इसीलिये उसमें वह दिव्य-दृष्टि-सममक-होती जिससे वह वास्तविकता के सब से अधिक निकट होता है। नियति, रक्त और सजन-शक्ति से दे हुए किसान का जीवन पर शाश्वत प्रभुत्व है किसान जन [60016 1011 है, उन्मुलित ढेर 70988 नहीं । इसीलिए जहाँ शहरी भूमि की, देश की, उन सब परम्पराओं का शत्रु होता है जो उसकी संस्कृति के प्रतिनिधि होते हैं वहाँ किसान उनका संरक्षक होता हे । मानव के सनातन प्रश्नों के सम्बन्ध में किसानों का दृष्टिकोण वास्तविक होता है। वह उन प्रश्नों से भागता नहीं, उनके अस्तित्व फो श्रद्धापूवक स्वीकार करता हे और फिर जीवन में उन आदर्शों पर देशकाल्ला- वस्था के अनुसार चलने का प्रयत्न करता है । योनि, समाज आदि महान और जटिल समस्याओं का हल किसान उसी वास्तविकता से करता है जिससे वह जीवन पर शासन करता है। उसका यह हल उसके सजग सहज ज्ञान पर आधारित होता है । सब भक्ती शहर जहाँ गाँबों को खाकर बढ़ता है वहाँ किलान सब को भोजन देकर भोजन करता है। किसान हैं अम्रताशी यज्ञ शेप पर निवांद करने वाला । शहरी झात्मकारणात




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