मौक्तिक माल | Moktik Mala

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Moktik Mala  by दिनेश नन्दिनी - Dinesh Nandini

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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प्‌ भूऊे पथिक, पियाके घरकी गैठ पूछते हो ? मनोवृत्तियेकि घने कंटकाकीर्ण जम फूंक छ्रक कर पाँव रखते हुए अपनेको प्रठोभनोंकि नर-रक्त-ढोछुप हिंसक पशुओंसे बचाना; प्रेमकी डॉगीपर बैठ सात समंदर पार मरकत द्वीपमें पहुँचना जहाँ अर्चिद्य सुन्दरी रानी मायावती राज्य करती है. | तुम उस फरफन्दीके कपट-जाठमें न फँसना, नहीं तो घह छडछ्या तुम्हें अपनी वलखाई जुल्फोंमें मेंणकी मकखी बनाकर काठान्तरतक कैद कर देगी; रीलकी ढाल पहन, सूरमा, सत्यके खड्टसे उसके जादुके दिलेको ढाहकर दूर, और दूर, चके जाना; मार्गमें अविद्याकी घोर तिमिराच्छादित दुर्गम घाटी पड़ेगी जिसमें विषय-विषघरोंका वास है, किन्तु हृदयमें अभय धारण कर ज्ञानका दीपक जला उसे पार करना; फिर, दारुण विरहद वेदनाका अंगार-विछा ऊबड़-खावड़ गगन- चुम्नी पहाड़ विश्वासके वलपर ठौँघना ।




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