धरमेलो | Dharmelo

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Dharmelo by सूरज सिंह - Sooraj Singh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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रामनाथ सोभाग रामनाथ सुमन सोभाग आदमी रै हाथ मे कोनी आ तो साईं रो खेल है| मालिक रा घालोडा सास है। जित्ता घाल्या है बित्ता ई लेईजसी। तिल घटै ना राई बधे मौत रो दिन निश्चित है जलम्यो है जिको तो जासी। सुपनै माय भी आ नीं सोची ही कै शजू री मा म्हनै इया अधवेयी माय गोतों देय जासी | सावरियो ई जाणै किण भौ रो बदलों लियो है म्हारै सू | माफी चाऊ हूँ मालिक दिनूगै-दिनूगै म्हैं भूली-बिसरी बात्या याद करार आपनै दुखी कर दिया। हूँ बडी मालकिन नै जित्तो भूलणो चाऊ वित्ताई घणा म्हारै चैते आये । म्हारै माथे तो बारी घणी मैरबानी ही | कैवता रामूजी आवणआठ्ठो जमानों भौत बदव्ययोड़ो जमाते हुसी। नौकर अर मालिक रा आ रिस्ता को रैसी नीं | टावरा नै खूब पढाओ | पढण-लिखण रो सगठों खरचघो सेठजी उठा लेसी बै घणा ई दातार है महैं बानै फेरू कैय देसू | मैं कैयो नी बीती बात्या नै याद कर र दुखी हुवणों समझदारी कोनी हुवै बावत्म | जा माय जा अर म्हारै वास्तै चाय लेय र आ। हीं टेम सुमन चाय लयार आवे/ रामनाथ सुमन रै हाथ माय सू चाय री ट्रे झाल रे बहूराणी म्हैं आपनै कित्ती बार कैयो है के म्हारो काम थे मत करिया करो। हू पछें अठै हू काय वास्तै ? म्हें अबै आपने काई-काईं बतताऊ मालिक। आप-ई बहूराणी ने समझाओ। म्हारी बात तो औ मानै कोनी। म्हैं कैथ-कैय र धापग्यो अर साची बात तो आ है मालिक कै बहूराणी रै औ घर मे आया पएेँ म्हैं ता औ घर में मुफत री ई पगार लेऊ | रामूचाचा आप औ घर री घणी सेवा कर ली अर हमें ई किसी कसर राखों हो ? म्हानै सगला नै सम्भाठ राख्या है आ कई छोटी बात है। औ उमर मे दिनभर घर अर बजार रा घक्कर 'काढता रैवो | सुमन साय जाके देख्यो रामनाथ । किसा भाग है आपारा ? इसी सैणी-समझणी लिछमी जिसी बहू घर मे आयगी। घरमेलो/15




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