काश, ऐसा हो | Kaas Aisa Ho

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Kaas Aisa Ho by सूरज सिंह - Sooraj Singh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पार्वती महादेव पार्वती गणेश महादेव पार्वती महादेव पार्वती महादेव पार्वती महादेव पार्वती गणेश गणेश महादेव पार्वती (ति स्वरमे) ये गधा अपने वाप पर गया हे म किस किस को समद्गाऊ। क्यो क्या जुल्म कर दिया इसने ? इतना बडा साड छ गया आर बोलने की तमीज नहीं । अब साड हो या भाड | आदमी जो बोता है वो ही चीज काटता है। यहा आ वेटे। मुझे वतला क्या हुआ ? कोई आदमी तीन घण्टे से अपना दरवाजा तोड रहा था। मैं उससे पूछा तुमको मेरी मा से मिलना है या मेरे वाप से ? (मारते हुए) फिर तुम मुझे बाप बोला ? तुम इसके वाप नही हो क्या? वाप रहः परन्तु जव देखो याप वाप वाप। तो क्या बोले तुमको ? दादाजी या नानाजी ? वावूजी वावूसा पापा पापाजी उडी डेड और कुछ नहीं तो खाली बापू ही बोल दे | लेकिन बापू वाले गुण कहाँ है तुममे उनको तो पूरा राष्ट्र ही वापू बोलता था। हरामी कहीं का जब देखो बाप. बाप. बाप | अव अनपढ आदमी तो एसे ही बोलेगा। अगर पापाया डंडी बोलाना था तो पढाया क्यो नहीं इसे ? अरे पडा क्या है पढने मे ? पटे-लिखे लाखो लोग बेकार घूम रहे हैं | (गणेश वीव से बोलता है) तो तू क्यो पढा बाप ? (भारते हषर फिर तुमने मुझे बाप बोला। बोल बोलेगा बाप ? (बीच मे पड़ते हुए) मेरी समझ मे नहीं आ रहा है कि बाप बोलने मे तुमको शर्म मक क मु ८15




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