ज्ञान थापने की विधि | Shree Gyanthapne Ki Vidhi
श्रेणी : जैन धर्म / Jain Dharm
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लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
118
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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सशणनरं० ॥ विनय स॒गोचार आदरेरे
लाल । जिहां साघुतणो आचार रे ॥ सु-
गणनर० ॥ २॥ बलि० ॥ सुयखन्ध दोय
छे जेहनारे लाल । प्रवर अध्ययन पच-
वीस रे ॥ सुगण* ॥ उद्दू शादिक जाणी ये
रे लाल । पंच्यासी सुजगी सरे ॥ सुग* ३
बलि० ॥ हेते जुगत करी सोभतारे लाठ।
पद अट्औारे मझ्ाररे ॥ सुग० ॥ अध्र पदंने
छेहड़ेरे लाल । संख्याता श्रीकार रे। सुंग०
॥9॥ बलि* ॥ गया अनंता जेह मारेलाल।
वली अनन्त पयांय रे ॥ सुग० ॥ न्रसपरित-
तोछे इहांरे लाल । धावर अनन्त कहायरे ।
सुग० ॥ ४५ ॥ बलि० ॥ निषध निक्ाचित
सासता रे लाल । जिन परणित ए भावरे॥।
सुग०॥ सुणता-आतम उल्लुसे रे लाल । प्रगदे
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