ह्रदय हारिणी | Hriday Harini

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Hriday Harini by पं. किशोरीलाल गोस्वामी - Pt. Kishorilal Goswami

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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लकदारकिशवनदददकशिलदवियारददादवतिपलिदेशरापरयरदिकिकिननेदिलकविददददल डाास्तदरदालववततारिववपपादननामाततविकनालनाउदददशदनवनटारदमललदनपाददकदयदपरराडिधिलिनरवनलपपततवतततननवनपलिसनाददाादनवावरानतावदापनाातसवनामताकानवराालाातासातहतासपाकाररणापा सपा भी धार ७ रा धर भरना भा धाबी भला भा पल भला जी भा जी भी पिन पीली न पता पिला भा एकाएक महा क्रोघ का उदय हो आया, आंखें लाल हो गई और सारा शरीर कांपने छगा; किम्तु उसने बड़ी कठिनाई से अपने मन के बेग को रोका और बड़ी नम्नता से कहा,- “ हा ! में नहों जानता था कि इस संसार में मित्रता के जामें के भीतर कऋद्दी कहों शत्रुता भी छिपी रहती है । अस्ठु, मेरी आज्ञा मेट कर जिस दुष्ट मे तुम्हारी सहायता से मंह मोड़ा, उसे इस अपराध का भरपूर दण्ड दिया जायगा । खेर, खुनो आज सबेरे मैं यहां आया | में तुम्हारे यहां आता ही था कि. माग में भीड़ भाड़: देख वहां पर ठहर गया था; परन्तु इंश्वर के अनुगध्रह से ठीक समय पर में चहां पहुंच गया था, इसीसे कुशल हुई, नहीं तो आज बड़ा भारी अनथ हो. जाता और मेरे लिये संसार स्मशान सा बन जाता । चलो, ओर बातें घर चढकर होंगी: । हां, कहती. बतलाओ कि मां. मली चंगी हैं १?” मां का नाम सुनते ही बालिका की आंखों में आंसू भर आफ और उसने ठंडी सांस भर कर कहा,-- “हा ! इईश्चरही कुशल करे ! मां का. तो अन्त समय आ पहुंचा है। कई महीनों से चद्द ज्वर भोगते भोगते अब इंतनी गल गई हैं कि चिन्हाई ही नहीं देतीं । खाना पीना सब छूट गया है, केवल “राम नाम ' को रट लग रही है । आपके लिये चद बराबर आंसू ढढकातीं और आपको याद किया करतीं हैं ।” यह सुनकर युवक का कलेजा। फटने लगा ओर उसने लंबी सांस लेकर कहा,- ' हा ! परमेश्वर ! यह मेंने जज क्या सुना ! मां की यह दशा: है ! तो चलो, जददी घर चलें । * -बालिका,-'' आप सी चलिएगा न £*”* _ युवक,-'' अवश्य चुंगा । और क्यों कुखम ! मैंने तुमसे हजारों बार इस बात को समभकाया कि तुम मुझे * आप * कह कर न पुकारा करों, पर तुम इतनी हठीली हो कि ' आप, आप” का कददना नहीं छोड़तीं । ख़ेर, आज में फिर तुम्हें समकाता हूं कि यदि अब से तुम फिर कभी जो मुझे * आप, आप ” कहकर पुकारोगी तो लाचार होकर मुझे भी आपको ' आप” कहकर पुकारना पड़ेगा । इसलिये बतलाइए, छंपाकर बतलाइणए कि अब आप रा




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