द्वारका - प्रवेश | Dwarika Pravesh

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Dwarika Pravesh by चन्द्रशेखर पांडे - Chandrashekhar Pandeyदेवकीनंदन - Devkinandan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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| श्च द्वारका प्रदेश दिखा रह चाल अनेक, शीघ्रता - समेत मानो वह कासयान है, समान पेग से, लिये ! न्ठ छुजागते यायु निनादकारी वर वीर को झराल औ भूघरकाय,. नीलता, जे च ० ० सबसे भले. टिजती' इतस्ततः, विमन्दगासी ... मदमत्त.. भुमते, प्रलम्ब दन्तोयुत दलतियूथ थे। २१ निशानवाले बज से सजे हुये, अनेक शरख्रास्त्र समेत सारी, तुरंग से. कर्षित, वायुयान ज्यों, छटा बनी स्यदन फी अनूपसा । २९ सबसे आ. मिन्लिम से सजे हुए, ३ ९५ ७» सशस्त्र बठे रथ मे. महारथी; के -- प्रभावशाली प्रघलाशिजाप अनन्त आनद - पयोधि में पगे । २३ घनुनिंपंगाकुश, खडग, परम औ- कपाण प्रासनद्ुर तोमरादि से, सुद्दावने फंचुक यम से. सजे, रणाभिल्ञापी 5तिवज्ञी पदाति थे । २४




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