अहिंसा की शक्ति | Ahinsa Ki Shakti

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : अहिंसा की शक्ति  - Ahinsa Ki Shakti

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about गोपीकृष्ण विजयवर्गीय - Gopikrishn Vijayvargiya

Add Infomation AboutGopikrishn Vijayvargiya

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
रे अहिसा की डाक्ति कर देना बंद कर दिया। स्थानीय लोगों की प्राथना पर इस आन्दोलन का नेतृत्व, गांधीजी की सलाह और प्रेरणा लेते हुए, श्री वल्लभभाई पटेल ने किया। श्री पटेल ने किसानों के प्रतिनिधियों को बुलाया और कई बार उनसे श्ररामशं किया, जिनमें आधे से ज़्यादा गांवों के और हर जाति और धर्म के प्रतिनिधि शामिल हुए थे। इन प्रतिनिधियों से बड़ी बारीकी से प्रश्न पूछे जिससे कि उनके निश्चय और दुढ़ता का पता लग सके और मालूम हो सके कि ताल्लुके भर के ग्रामों में एकता रखने और टिके रहने की कितनी दाक्ति है। उन्होंने उन्हें उस मामले का इतिहास, उनके कानूनी अधिकार और उनकी मागों का औचित्य समझाया । उन्होंने गाववालों को पूरी तरह और साफ-साफ समझा दिया कि सरकार क्या-क्या कार्रवाई और दमन कर सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि संभव है कि लड़ाई अनिक्वित काल के लिए लम्दी हो जाय। उन्होंने उन्हें पूरी तरह सोचने, आने वाली कठिनाइयें पर विचार करने और आपस में सलाह करने के लिए कई दिन का समय दिया। इसके बाद गांववाले और भी बड़ी संख्या में इकट्ठे हुए, और फिर बाद- विवाद करने के परचातू लड़ाई शुरू करने का उन्होंने निष्चय कर लिया। उस जिले में कई साल से चार या पांच सेवा-केन्द्र या आश्रम चल रहे थे, जिनका संचालन अच्छे मजे हुए अनुशासन-बद्ध कार्यकर्ता करते थे। इनसे संगठन का प्रारम्भ हुआ । जिले भर में उचित स्थानों पर १६ सत्याग्रह-छावनियां स्थापित की गईं और इनमें लगभग २५० कार्येकर्ता रख दिये गये। इनके अलावा गांव-गांव में स्वयंसेवक अलग थे। इन स्वयंसेवको का काम था कि सत्याग्रह-संग्राम के समाचार और सूचनायें प्रत्येक गांव से एकत्रित करें और मुस्तैदी से उन्हें प्रतिदिन मुख्य केन्द्र तक पहुंचा दें। स्वयंसेवक सब सरकारी कर्मचारियों की कार्रवाईयों पर भी सूक्ष्म दृष्टि रखते थे, और जनता को उनके आने की और उनके इरादे की सूचना दे देते थे। एक समाचार-पत्रिका प्रतिदिन छपती थी और हर गाव में बांटी जाती थी । इस पत्रिका का प्रकाशन यहां




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now