नये रंग : नये ढंग | Naye Rang Naye Dhang
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
130
श्रेणी :
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No Information available about लक्ष्मीचन्द्र जैन - Laxmichandra jain
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भी तो माख़िर इतना बड़ा है--उसे महद्वद और मखसूस करनेका मतलब ?
कितनी उम्मीद थी मुझे !
अब जनाब, यह तालीमका महकमा भी अजीब भूल-भुलैयाँ है ।
प्राइमरी एज्यूकेडन, सेकेण्डरी एज्यूकेशन, बेसिक एज्यूकेशन, टेविनिकल
एज्यूकेरान, हयमैनिटीज--तरह-तरहके गोरखधन्घें है। कोई स्कीम ही
परवान नहीं चढ़ती ।
कवीरकों मेने कहा था कि डाक्टर ताराचन्दसे मगविरा करके, पण्डित
स्दरछाल और चतुर्वेदी साहवके दस्तखत लेकर जो करना हूँ कर डाल ।
हमे वहुसमे नहीं पड़ना है, मुल्की तालीमकों सही नजरियेसे देखना हैँ ।
मगर जोग तो इन लोगोमे हूं ही नहीं । उधर जम्टूरियतका करिश्मा यह
कि अब कहाँ पहुँचे कवीर, कहाँ डाक्टर ताराचन्द ! इघर पण्डित पन्त भी
कविनेटमे तरारीफ लाये है । क्या कहूँ ? 'अक्लमन्दाराँ इशारा काफीस्त ।'
हिन्दीवालोकी बातें में करूँगा नहीं । “महा जी वाली बातकों इन
लोगोने कसा तूल दिया है ? अच्छा है अव राजगोपालाचारीसे वास्ता पडा
इन लोगोका । हिन्दुस्तानीकी वातपर ये लोग टिके होते तो मुल्कमे तफरका
न पडता वयोकि वोलनेकी जवान सबकी हिन्दुस्तानी हुई होती, लिखनेके
लिए, भई, हिन्दी 'साहितिया' में लिखो, चाहे उरटू अदवमे और चाहे ऐसे
लिखो जेसे क्रिशन चन्दर या हुमायून कबिर !
और भी तरह-तरहके झगड़े है। सियासतका काम भी कितना बड़ा
काम हूँ जिसके लिए सारी कंबिनेटमे वाहिद में हूँ । पजाबका मसला खैर
अब पन्त साहब देखने कगें है, मगर पाकिस्तानका मसला, मिडिल ईस्टका
मसला, अरब मुल्कोंकी दोस्तीका मसला, हिन्द-चीनका मसला, यहाँतक कि
हिन्दुस्तानमे बसनेवाले खालिस मुसलमानों भमौर पाकिस्तानी सुसलमानोंका
मसला--सब मसले महज मेरी ही सलाहपर हल होते है ।
लोग चीमेगोइयाँ करते है कि में पार्लमेण्टमे दिखाई नही देता
ताज्जुब तो यह है कि जिन लोगोको मै दिखायी नहीं देता उन्हें मेरा हाथ
जो वे स्वयं न कह पाये ! १७
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