जुगनू | Jugnoo
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
132
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)क्या दिन भर हुजामत बनायेंगे ? श्द्े
जीवन ही हराम कर डालता है । यह सर्व ब्यापी भूत हमारा मन है
जिसको वश में रखने के लिये मुनि झौर सन्त भी' सदा प्रयत्नशील रहते
हैं। मेरे ख्याल से अगर किसी को कड़ी सज्ञा देनी हो तो उसे कुछ भी
काम न देकर सिर्फ़ बैठाये रखना चाहिये । बनंडं था ने ठीक ही कहा
हू---श्रिनन्त श्रवकादश ही नरक की सबसे श्रच्छी व्याख्या है ।'
यूनान के टेन्टेलस की कथा शायद शझ्ापकों मालूम हो । उसे देवों
का एक भयंकर शाप था । उसे एक पानी के तालाब में खड़ा कर दिया
गया था । जब उसे प्यास लगती श्रौर वह प्यास बुकानें के लिये श्रपना
सिर भुकाता तो पानी की' सतह नीची हो जाती श्रौर टेन्टेलस प्यासा ही
रह जाता । धनिकों का भी यही हाल' है । उनके चारों श्र सभी प्रकार
की भोग-सामग्री रहती है, पर उनकी विषय-वासना तृप्त' नहीं होती ।
उनकी हालत उस प्यासे नाविक के समान है जो समुद्र में अपनी किद्ती
पर जा रहा है । उसके चौगिद॑ पानी ही पानी है, पर नमकीन होने के
कारण उसकी प्यास नहीं बुभ सकती । जीवन की मिठास श्रम में है,
विश्वाम में नहीं । जिन्दगी का ज़ायक़ा कड़ी मेहनत में है; ग्राराम-चैन
में नहीं ।
सन्त कबीर एक मामूली जुलाहे थे । दिन भर करघे पर कपड़ा बुनते
श्रौर उसीसे भ्रपना निर्वाह करते । पर सूत बुलने के साथ-साथ उनके
जीवन' के झानन्द के तार भी बुन जाते थे । उनके श्राज्लाद का कया ठिकाना !
उनका जीवन परम शाल्ति की एक चिमल हिलोर बन चुका था---
श्सुख-दुख से कोइ परे परम-पद,
तेहि पद रहा. समाई ४
जो लोग कम घंटे काम करके ज्यादा फ़ुरसत चाहते हैं उनकी दलील
है कि वे श्रवकाश का उपयोग कला, साहित्य भौर विज्ञान के निर्माण में
करेंगे। किन्तु उन्होंने शायद दुनिया के बड़े-बड़े कलाकारों, साहित्यिकों
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