तेरह दिन | Terah Din
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
152
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सलोग कहते थे, कमला की अपने पति से अनबन इसीलिए हुई है और इसी-
'तिए कप्टन वोहरा जालन्धर छोड़ अम्वाला चला गया है 1
तो क्या कमला अपने पति से अलग हो गयी है ? अम्बाला में कुछ
'दिन ठहरना, फिर शिमले जाने का प्रोग्राम ?
उमा खिंडकी में से कमला को देख रही थी । कौप्टन वोहरा के साथ
'सटी-सटी-सी कमला स्टाल के पास खड़ी कोका कोला पी रही थी !
पुष्पा ने ढेर-सा नमकीन खरीदा, तली हुई दाल, बेसन के लच्छे ।
उमा के हाथ में लिफाफे देती हुई बोली--“'वहाँ गर्म-गर्म पकौडे वन रहे
हैं, मैं भागकर ले आती हूं । तुम जरा वच्चों को पानी-वानी पिलदा दो ।
'खिडकी छोड उमा अपनी जगह की ओर पलटी, देखा डिब्बा ठसाठस भर
गया है। चुस्त शलवार-फ्मीज पहने दो लड़कियाँ उसके पास आती हुई
चोली--''माफ कीजिएगा, हम जरा इस सीट पर बैठ सकती हैं ?”
उमा इनकार नहीं कर सकी, सुरेश को अपने पास बिठलाती हुई
चोली-- सुरेश, जरा इन्हें वठने दो ।””
“यह बच्चे आपके हैं ?”” उनमें से एक ने पूछा ।
उमा सकपका गयी । उपने जल्दी से सुरेश से कहा--“सुरेश, जरा
देखना, मम्मी तुम्हारी आ रही हैं कि नहीं ? ”
अब उस लडकी को अपनी गलती का एहसास हुआ । क्षमायाघना
के स्वर में घोती --“माफ की जिएगा, मैं समझी थी *** '
उमा मुस्कुरा दी--''कोई बात नही, एक तरह से यह अपने ही बच्चे
हैं, मेरी जेठानी के बच्चे हैं ।””
दूसरी ने घट से कहा--“तभी मैं भी सोच रही थी कि आप इतनी
आयु की मालूम तो नही होती ***””
उमा ने मुस्कुराकर उसकी ओर देखा, फिर हुँसते हुए बोली--''आप
दोनों शायद दिल्ली जा रही हैं ?”
जी ! हम लोग वही न्ट्स्द नीले सरकोनवुसत पोशाक
चाली बोली । सच पल
तभी गाई ने सीटी दी; सुर 'घव सके मीलिं उठी ०५ आस मनी
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