वैशेषिक दर्शन | Vashekshik Darshan

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Vashekshik Darshan  by गंगानाथ झा - Ganganath Jha

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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.. ३७ ................. परमाणुवाद हें श्र हमारे देखने योग्य हैं वे सब कई छोटे२ टुकड़ों से बनी इुई हैं इन टुकड़ों के भी कई टुकड़े हैं । इस तरह एकर डुकड़े को तोड़तेर. _ अन्त में जाकर ऐसे टकड़े होंगे. जिनके टुकड़ों को हम नहीं देख . _. सकते। ऐसे दुकड़े का नशूना सूये की किरणों में जो छंपट २ कण देख. .... पढ़ते हैं उन्हें बतलाया गया है। इसके भी डुकड़े झवद्य होंगे क्योंकि... . मैं इसे देख सकता हूँ। परन्तु इन ठुकड़ों को मैं देख नहीं सकता ।. _ इसलिये इन टुकड़ों को अर : माना है । इस अणु के भी टुकड़े हैं... क्योंकि श्रगर इनके टुकड़े न होते तो इनसे बना हुआ पदाथ देख _ नहीं पड़ता । इसी अन्तिम टुकड़े को 'परमाणु” कहते हैं । ऐसे दो परमारुओं के मिलने से डचयणुक, तीन डचरुकों के मिलने से एक... सरेशु, इस क्रम से सब वस्तु उत्पन्न होती हैं।.............. टुकड़ा करने का अन्त कहीं न कहीं झवदध मानना होगा । नहीं _. तो संसार में जितनी चीजे हैं सब ही में अनन्त ठुकड़े सावन पड़े ।. सभी चस्तु एक परिमाण की होंगी अथोत्‌ जितने अनन्त टुकड़े, पूथ्वी .. के खगड, एक छोटे से मिदी के ढेखे में, होंगे वेसेही अनन्त टुकड़े... . पहाड़ में भी होंगे । परन्तु यदि ठुकड़ों का विराम परमाणु पर . _ ज्ञाकर मान लिया जाय तो उस नहीं होगा ।. छोटी चीज में थोड़े परमाणु होंगे बड़ी चीज में अधिक | इस. तरह परमाणु भेद सिद्ध . _ होजाता है। प्र शेविकों ने चार मूतों के चार तरह के परमाणु माने. हैं, पृथ्वी परमाणु, जल परमाणु, तेज परमाणु, वायु परमाणु । पांचवें अत *. . झाकाश के अवयव या दुकड़े नहीं हैं। वह निरवयव स्थिर भूत केवल... शब्द का झाघाररूप माना गया है। इन सब परमाणुओं के खास... ं खास गुण है। मी _ परमाणुओं का सयेाग तीन प्रकार का. होता है। ( १) शुद्ध ः सौतिक वस्तु की उत्पत्ति में अनवश्त चलेत हुए परमाणु दो.




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