भक्तमाला | Bhaktamala
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
126 MB
कुल पष्ठ :
1078
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)राणरापिकादली डे
हुस्हधयमराहराररकाधिटरखॉप्टारनशयाहडरकारन राय
अथ श्रथाररूलु: !
[०“जय वूसुदेवकुमार, सनव ईंड्रियकर्मपर ॥
सब सुंतनआधार, अतिकोमछठकरुणायतन् ॥
हुरबर हरतू सभा, निजश्रणागतजननको ॥
मावत अं तुम्हार, करतअभय संसारते ॥ २
जानत जो नहिं आहि, ताहि जनावतउरमभिशि
जाने देतू निाहि, को कृपाछु यदुनाथसभ॥ ३
यह जग द्रैसार, जगत और भागवत
बिनमागवतविदार, पिठतनमंगवतपदकतरेँ।
जयजय सुंतसभाज, जेहि सेबत उुघरतू सकठ
शरण परथो रघुराज, ठाज तिहारे हाथ है
(०
शारदचनइव ज्या।तू, जयजबसातुसरस्वता
कपाववष, रे, सोइउत्रतकावृताजडाथु ॥६।
सु०्-जानों नहीं कछु छंदनकी गति सा साहित्येकी और न चीन्छों॥
[यव्याक्रणादिक झञाझ् नहीं इनमें कबहूं बन दादा ।
तेरे अरोप थरो जगदंब कछू रचनागाते हा गाइलन्हां |
दे अप तोरि पथार सब रघुराजक जाजकों रक्षण दादी!
[रह
न्हाइसबयाठस रथ जा, आनंद अुदाविना
कु |
नरसपागपामातपाादाानाल अपना
|
|
!
डी
|
1 |
. रनायं बैठिके, कियोमातु मतिशाम ॥ ७॥
.। तथा रासरासकाबड़ा, बह चरण तह धयाई ॥
।... सारसनामें बैठिके, दीजे माहुं बनाइ
) छप्पून-विचनहरन जनसारन घरनसुस दृरनदृर्दिन
नरन करन आयरन ज्ञान्रवृरनहु झूदन
ठुरव पशु अवभीत्ति जंगतपूरण संचाएन !
0... कशणादरन अपारसुदासन पिंगाते विदारन 12
प्लाटकलडाट्कपट्ाटलाएप्टनलडाकलानुापटडडाट्रचटाड
User Reviews
No Reviews | Add Yours...