श्री गौरांग महाप्रभु | Shri Gaurang Mahaprabhu
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
141 MB
कुल पष्ठ :
428
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)द्वितीय परिच्छेद
ततकालीन राजनैतिक तथा सामाजिक स्थिति
'खलमानी पताका ता सेनवंशीय अन्तिम राजा (१)
र्श | 5 | के समय ही में इस देश श्ार प्रान्त में फददरा चुकी
किलर थी। सौभाग्य से जा कभी कोइ हिन्दू राजा हे भी
एक...“ डर ;) $ जाते थे तो चिर दिन या पीढ़ो दे पीढ़ी उनका
राज्य स्थिर रद्दने नददीं पाता था । चाहे शासन के मंध्य दी में किसी
मंचारो दो द्वारा राज्यच्युत वा वध कर दिये जाते या उनकी
खत्यु के झनन्तर काई शअन्य व्यक्ति उनके शज्य पर श्रधिकार कर
बेठता ।
_ श्रीगोराह् के प्रादु्भाव के लगभग सुबुद्धिराय गाड़ के राजा
थे । हुसेन खां नामघारी उनका एक प्रिय कमेंचारी किसी काम
में श्रसावघानी के कारण दृणिडित होने से ऐसा कुपित इुश्ा कि
पद्यन्त्र करके उन्हे राज्यच्युत कर श्राप राजा बन बेटों ।
.. राजगद्दी पर अधिकार करने के झनन्तर इसने स्थान स्थान पर
सेना समेत एक पक क़ाज़ी नियुक्क किया। श्रपने दामाद चांद खां
को नवद्वीप का क़राड़ी बनायां झार उसने नवद्वीप के एक भाग
बेलपुखुरिया में डेरा जमाया । क़ाज़ी मलूक खां शान्तिपुर के
समौप गंगा किनारे रददने लगा । पानीदाटी गांव में भी पक
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(१) *' तबकात नासरी” में अन्तिम राजा का नाम लखमनिया लिखा है । अन्य इतिह
लेखकों ने प्रायः ठसीका अनुकरण किया है। किन्तु डाक्टर राजेन्द लाल मित्र अन्तिम .
राजा का नाम अशेक सेन बनाने हैं झोप कहते डॉ दि धप्लातिरा! पिला सोडा उन
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