982 सुन्दर साहित्य माला | 982 Sundar Sahitya Mala

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982 Sundar Sahitya Mala by शिवनन्दन सहाय - Shivnandan Sahaya

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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९५ नही है | इसीसे में इसे भगवत्कृपा ही समभता हूँ कि वह चित्र मुझे प्राप्त हो सका और मे उसे इस पुस्तक में देने मे समर्थ हुआ | यात्रा-प्रसग में मुझे जिन-जिन लोगों से सहायता मिली, उनका उस्लेख मै यथास्थान करता गया हूँ | यहाँ एक बार ओर उन्हे याद कर उनकी सेवा में अपनी झइृतशता की अज्ञलि अपित करता हूँ | मेरा विचार था कि समी चद्धियों की सूची तथा उनके विषय मे सभी शातव्य बाते एक साथ इकट्ठटी करके रख दूँ, जिससे यात्रियों को कुछ सुविधा हो सके | किन्तु तीन वर्ष का समय मिलने पर भी समयाभाव रह हो गया, ओर में वैसा न कर सका ! इसी प्रकार, भेरी यह भी इच्छा थी कि यात्रा में अपने साथ क्या-क्या ले जाना चाहिये ओर याजत्रा-पथ में किन-किंन बातो पर विशेष ध्यान रखना चाहिये, इनका भी उल्लेख कर दूँ, किन्तु दुःख है कि वह भी न कर सका | आशा है, पाठक क्षमा करेगे | अब तो उन्हीं को कुछ कष्ट उठाकरं वे सारी शातव्य बाते इकट्ठी करनी पड़ेगी, क्योंकि इस पुस्तक में मैने कोई भी जरूरी बात छोड़ी नही है | अन्त मेँ, एक बार श्रर श्रपने सभी सहायको को धन्यवाद | मेरे जिन मित्रो ने उत्साह बढाया है, उनका तो में चिर-श्राभारी रहूँगा ही। बस । भ्रीकृष्णापंणमस्तु ।




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