सत्य - निर्णय | Satya - Nirnay

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Satya - Nirnay by ज्ञानचंद्र - Gyanchandra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भूमिका ७ उद्दश राजनीजिक था और देश की नीति को लक्य में रख कर ही महात्मा जी ने यदद आक्षेप किया था ) ग्रन्थ को आदि से अन्त तक पढ़ जाइये । इसका हर एक भाग ज्ञानपूर्ण और लेखक के विस्तृत विचार का प्रमाण है। कोई भी इसको पढ़ कर लाभ उठाये विना नहीं रद्द सकता । ग्रन्थ छुछ॒बिलस्ब से अवश्य प्रकाशित्त हो रहा है। परन्दु विषयों के विचार से यद्द छायंसमाज के स्थिर साहित्य का एक बंग है। इसलिए प्रत्थ की उपयोगिता, देर से छंपने के कारण, न कम ही हुई; न जाती ही रही । प्रधान, लिनिधि ण सा्वेदेशिक घ्यार्य भ्रा सभा नारायण स्वामी




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