मांझल | Manjhal
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
138
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सदार गुफा कतली डगर सू जरख ज्यू डगल। भरता भरता डूगरी
माथ चढग्यों । बगली सामै बैक छोटी सीक तिवारी ही । पचास जेक जातरी
चौक में बठा जागण देव हा। बगली रो डिवाड खुलो हो । मीठे तेल रो दीया
शस हो । वगली मे हाथ माय पहाड़ उठाय बजरंग बली रा मूरती ही जिदकी
सिंदूर अर मालीपाता लाग-लागर आप रो साकार ई खोवण छागगी ही । चादी
रा मेक छतर देवली माथ लटक हो । दोय सू निकठत काजठ वगला न माय
सू काठी कर राणी ही । छतर री मोठी लाप रो रंग ई गमा चुकी ही । दीय
कन घूपियों रास्योडो हो । सामै पढ़ी थाली म चूरमो अर चिटक्या घाह्योडी
ह्वी।
अगूण माम मे सफदी चमकण लागगी ही । जावता अुधारा भागत भूत
ज्यू लखाव हो । हाठ-होठ सफेंदी गरी लाल हुवण लागगी ।
सूरज री पी किरण सीधी व गली र मांय बढण लागगी । जागण बद
हुयग्यो हा । सगछ मेक साग ई जय बोलर बगरू। लार कुड हो वठ पाणी
पीवण सारू जावण लागग्या । जातरघा र पीवण खातर ई हो उण कुंड रा
पाणी । सूरज री किरणां दूगरी माथ खेलण लागगा। तावडो आकर हो।
दूर दूर ताई पसरथोडो रोही ठादड मे सिनान वर हा । दरसण भर न, सिंदूर
मशूत रा टीको लगायर जातरी टोठा म टुरण लागग्या।
न भीड हुवण सू सवार दास कन ही, निसकारो नाखूर ठरग्यो हा । ज्यू-
ज्यू भीड खिंडण लागी, दो बाग सिरकतो गयो । पुजारीजी इक्तारो सामे
राख्या आख्या माच्या सुस्ताय रया हा। छमछमिया कन पड्था हा। बन
पूगर सवार जेयकार करन पगा कानी हाथ करधो । पुजारीजी महाराज
गाघषी खुली गारपा सू पूछघो--वण आयो ?
“नोच ता पोहर मेक रात गया हो पूगग्यों हो' सवार आग कयो--
*भठ अवार ई आयो हु
सूरज बोहदो ऊचा चढग्यो हो । सगदी दूगरी तावड में रमैं ही । पुन
'रा फटकारा जोर सू लाग हा । जातरथा री टाठया नीच जावती दीख ही।
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