प्राच्य - शिक्षा रहस्य | Prachya Shiksha Rahasya

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Prachya Shiksha Rahasya by हरिदत्त शास्त्री - Haridatt Shastri

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(१० ) प्राच्य-शिक्षा रहस्य । दो पात्रों में जल रक्‍खे जत्र तक हस्त पादादि सृत्तिका से प्र्षाल्न न करे तब तक मुखप्रक्ञालन का जल न छुए | उच्चारे मेथुने चेव प्रस्रावे दन्तधावने | भोजने ध्यानकासे च पट्सु मौन समाचरेत्‌ ॥। मल मूत्र त्यागती बेर; मेधुनकाल, दन्तघावन के समय, मोजनकाल, सन्ध्यासमय में मोनज्रत धारण करें । प्रतिपढ, मी, चतुद्शी के अतिरिक्त नित्य दन्तघावन करे अंगुली से दन्तघावन करना निषिद्ध है झनम्तर पोडश गणडूप से मुख, जिद्मा प्रशालन कर निम्न लिखित प्रातःस्मरणीय मन्त्रों का पाठ करें । आआदित्यस्थ नमस्कार ये कुवन्ति दिने दिने । जन्मान्तरसहसेषु दारिक्रब॑ नोपजायते ॥ प्रातःरस्मरामि रघुनाथमुखारविन्दं मन्दस्मितं मघुर भाषि विशाल भालम्‌ । कशोवलम्बिचिलऊुणडल- शोभिंगणडं कणान्तदीघनयनं नयनाभिरामम्‌ ॥ नह्या मुरारिखिपुरान्तकारी भातुः शशी शमिसुतों बुघश्र । गुरुश्र शुक्रः शनिराष्ट्रकेतवः कुवेन्तु सर्वे हु ६», मम सुप्रभातम्‌ ॥ मुगुवंसिष्ठ कतुर्िरश्च मनु पुलस्त्यः पुलहश्च गोतमः । रग्यो मरीचिश्च्य-




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