व्यवसाय व्यवस्था के सिद्धांत | Vyavsay Vyavastha Ke Siddhant

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Vyavsay Vyavastha Ke Siddhant by डॉ . एस . सी . सक्सेना Dr. S. C. Saxena

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about एस. सी. सक्सेना - S. C. Saxena

Add Infomation AboutS. C. Saxena

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
52१7 (51 * 5 छ7६2115ध पिव5 0. एणाइएाशएटड, 15. घकाज 101 15 का 0 890 15 000 5 छणेत रे 5 ाप्ड शिड 2 सि ०8: रह. डॉ०0णऐ 96 दिक 211 04 2. 0प510655 पधा, रे. छिफदिपा दिदिड इछ01:00 कार पुटपाव उलिश्ण८७ 10 ५६ हित फणण (०0छ़डए 0 है. तारा एव. कैफ & !ए८16 ध552] 0 है 08हुटफ़ाध्ठ६ 2.5 # 00 टिद51ए0, * पुर फह्ह 6 (डा, (0 एथ] 2८९ 3ि08हुहा14] है 5001209 पर जबाब कशछाएटाइएएन (15 (एट फाएटड5100दी दिडादड एव इायाव ुडपाहा के पिएं. 2006 डा5 2दाथ्ााबणिद 9. 96. विपरीत बणए च्वाण, 85 8. ताच्णफ रह 08% फविट फ055916. ५6 माप डएद 91 प्राआर हुद 12 ऐं शाप ०८80 दा घाएपेाए 9ए5शाट55 * 0५पप्ाइ०, ए्ततष्ड एड ए्ाफ़ुणाएश00८€ 0 9एड1#९3955 ए820153 (1100 सा 5ु060181. इॉडाशाए6 0 (0९ एड. ऐेसफ् €प0प0एप9 0६ हपता8- अध्याय २ प्रवन्ध एवं संगठन के सिद्धान्त “प्रबन्ध उद्योग की बहु जोवनदाधिनी शक्ति है, जो सगठन को शक्ति देता है, संचालित करता है एव नियत्त्रण में रखता है * प्रबन्ध (पद्हट्टटाएट पे प्रबन्ध, “व्यवस्था एवं संगठन मे अन्तर सामायत . श्रबन्ध (फशा9छुलाए60 0), व्यवस्या (2 धर समठन (07छतएा50.1011)--य तीनों ही दाब्द पर्थायदाची दाब्दा के रुप में प्र | किये जाते हैं 1 किन्तु, यदि हम गम्भीरता से इनके झ्रथ का विश्लपण करें, तो होगा नि ये तीनों ही दाव्द तथा इनके लेन पृथक प्रूवक हैं । 00500 हैं




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now