अनेकान्त | Anekant
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
129
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
जैनोलॉजी में शोध करने के लिए आदर्श रूप से समर्पित एक महान व्यक्ति पं. जुगलकिशोर जैन मुख्तार “युगवीर” का जन्म सरसावा, जिला सहारनपुर (उत्तर प्रदेश) में हुआ था। पंडित जुगल किशोर जैन मुख्तार जी के पिता का नाम श्री नाथूमल जैन “चौधरी” और माता का नाम श्रीमती भुई देवी जैन था। पं जुगल किशोर जैन मुख्तार जी की दादी का नाम रामीबाई जी जैन व दादा का नाम सुंदरलाल जी जैन था ।
इनकी दो पुत्रिया थी । जिनका नाम सन्मति जैन और विद्यावती जैन था।
पंडित जुगलकिशोर जैन “मुख्तार” जी जैन(अग्रवाल) परिवार में पैदा हुए थे। इनका जन्म मंगसीर शुक्ला 11, संवत 1934 (16 दिसम्बर 1877) में हुआ था।
इनको प्रारंभिक शिक्षा उर्दू और फारस
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)जैन संस्कृत पुराणों में वणश्रिम धर्म
-- डॉ. अशोक कुमार जैन
भारतीय परम्परा में जैनधर्म अपनी उदारता और व्यापकता के
कारण महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है, क्योंकि व्यक्ति स्वातन्त्य और
स्वावलम्बन के कारण वह अन्य सब धर्मों में श्रेष्ठ धर्म गिना जाता है।
विश्व में जितने धर्म हैं उनकी उत्पत्ति प्रायः अवतारी पुरुषों के आश्रय
से मानी गई है किन्तु जैन और बौद्ध ये दो धर्म इसके अपवाद हैं ।
षट्कर्म व्यवस्था और तीन वर्ण- साधारणत: आजीविका और वर्ण
ये पर्यायवाची नाम हैं, क्योंकि वर्णों की उत्पत्ति का आधार ही
आजीविका है। जैन पुराणों में बतलाया है कि कृतयुग के प्रारम्भ में
कल्पवृक्षों का अभाव होने पर प्रजा क्षुधा से पीड़ित होकर भगवान
ऋषभदेव के पिता नाभिराज के पास गई। प्रजा के दुःख को सुनकर
नाभिराज ने यह कह कर कि इस संकट से प्रजा का उद्धार करने में
भगवान ऋषभदेव विशेषरूप से सहायक हो सकते है, उसे उनके पास
भेज दिया। क्षुधा से आर्त्त प्रजा के उनके सामने उपस्थित होने पर
उन्होंने उसे असि, मषि, कृषि, विद्या वाणिज्य और शिल्प इन छह कर्मों
का उपदेश दिया। इससे तीन वर्णों की उत्पत्ति हुई । आचार्य जिनसेन ने
लिखा है-
उत्पादितास्त्रयो वर्णास्तिदा तेनादिवेधसा,
क्षत्रिया वणिज: शूद्रा: क्षतत्राणादिमभिगुणै: । ।
आदिपुराण 1/16-183
उसी समय आदिब्रह्मा भगवान वृषभदेव ने तीन वर्णों की स्थापना
की थी जो कि क्षतत्राण अर्थात् विपत्ति से रक्षा करना आदि गुणों के
दारा क्रम से क्षत्रिय, वैश्य तथा शूद्र कहलाते थे। और भी लिखा है-
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