आचार्य भिकारीदास | Aacharya Bhikaridas

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Aacharya Bhikaridas by डॉ नारायणदास खन्ना - Dr. Narayandas Khanna

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( १२ ) २ ८१७ श्प्प ध्वनि के भेद १. अविवक्षित वाच्य (१) शर्थन्तरसंक्रमित-१८८, (२) श्रत्यंत तिरस्कृत बाच्य- १८८ । २. विवक्षित घोच्य ध्वनि १८६ (१) असंलक्ष्यक्म-१६०, (२) लक्ष्यकमः १६० । (१) शब्देशवित-१९०, (२) श्र्थ यक्ति-१९१. (३) शब्दाथ शक्ति-१९३ | . पद प्रकादित व्यंग्य १९३ प्रवन्ध ध्वनि--१९४५, स्वयंलक्षित व्यंग्य-१€४ । गुणीभूत व्यंग्य (१) ब्रगूढ़-१९८, (२) श्रपरांग-१९८, (३) वुल्य प्रधान १९८ (४) अस्फुट-१६९, (५) काक्वाक्षिप्त-१६६, (६) घान्पनिय्रसंग्यन १६, (३) संदिग्ध प्रघान-२००, (८) अ्रसंदर-रत० | श्रवर काव्य गत, निष्कर्ष र्ण्णर तुक बणन रृ०्रन्दत्य समसरि-र०२, विपमसरि-र० दे, कप्ट्सरि-५त्८ | मध्यम तुक २०३ भ्रसंयोगमिलित-र०३, स्वरमिलित-र्‌०४ । अधम तुक २०४ प्रमिल-सुमिल- २०८ । निष्कर्ष र्ण्प्र छुन्द निरुपण नद्शननगरण्प कान्यदोष मर्द नए १. शब्ददोष १०-१६ १) श्तिकट-ए | ( | पिद्वीनजन १४, (<। ध्यान, (४) असम्ध-२१०, (| | छ ) निशतिथनरशेए, व) अलनिलाधनन १ ए. 3) निरथक-२१ ) द्रचाचतन न 2६ (६) सम्लीन-सर 1 ग्राम्यजण् १४, । इ) नयाथ-२१५,. (६४) 1 विर्द्धमति-८ १६ | रे. वोक्यदीज पा (१) प्रतिकूलाक्षर-ध १. [४ दवूसेल १. हर) विवेचन हे उ. (४) (2) (८) (७) सन, अधिक, पुन धो से प्रकी न रझ. (5८) समाप्लपुनरालि- : १५, (२) सरगो गिं! “कप. पु 2०३ घन: संदिग्ध- ७ १ रिस) प्रनीन नन्१ै८. कक ं शपथ ) यश डे लि श था | | |




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