आचार्य भिकारीदास | Aacharya Bhikaridas
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
28 MB
कुल पष्ठ :
389
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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२ ८१७
श्प्प
ध्वनि के भेद
१. अविवक्षित वाच्य
(१) शर्थन्तरसंक्रमित-१८८, (२) श्रत्यंत तिरस्कृत बाच्य- १८८ ।
२. विवक्षित घोच्य ध्वनि १८६
(१) असंलक्ष्यक्म-१६०, (२) लक्ष्यकमः १६० ।
(१) शब्देशवित-१९०, (२) श्र्थ यक्ति-१९१.
(३) शब्दाथ शक्ति-१९३ |
. पद प्रकादित व्यंग्य १९३
प्रवन्ध ध्वनि--१९४५, स्वयंलक्षित व्यंग्य-१€४ ।
गुणीभूत व्यंग्य
(१) ब्रगूढ़-१९८, (२) श्रपरांग-१९८, (३) वुल्य प्रधान १९८
(४) अस्फुट-१६९, (५) काक्वाक्षिप्त-१६६, (६) घान्पनिय्रसंग्यन १६,
(३) संदिग्ध प्रघान-२००, (८) अ्रसंदर-रत० |
श्रवर काव्य गत,
निष्कर्ष र्ण्णर
तुक बणन रृ०्रन्दत्य
समसरि-र०२, विपमसरि-र० दे, कप्ट्सरि-५त्८ |
मध्यम तुक २०३
भ्रसंयोगमिलित-र०३, स्वरमिलित-र्०४ ।
अधम तुक २०४
प्रमिल-सुमिल- २०८ ।
निष्कर्ष र्ण्प्र
छुन्द निरुपण नद्शननगरण्प
कान्यदोष मर्द नए
१. शब्ददोष १०-१६
१) श्तिकट-ए |
( | पिद्वीनजन १४, (<। ध्यान,
(४) असम्ध-२१०, (|
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निशतिथनरशेए, व) अलनिलाधनन १ ए.
3) निरथक-२१ ) द्रचाचतन न 2६ (६) सम्लीन-सर
1 ग्राम्यजण् १४, ।
इ) नयाथ-२१५,. (६४)
1 विर्द्धमति-८ १६ |
रे. वोक्यदीज पा
(१) प्रतिकूलाक्षर-ध १. [४ दवूसेल १. हर) विवेचन हे उ.
(४) (2) (८) (७) सन, अधिक, पुन धो से प्रकी न रझ.
(5८) समाप्लपुनरालि- : १५, (२) सरगो गिं! “कप. पु 2०३ घन:
संदिग्ध- ७ १ रिस) प्रनीन नन्१ै८.
कक ं शपथ ) यश डे लि श था
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