रोमान्चक रूस में | Romanchak Rus Men
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
13 MB
कुल पष्ठ :
301
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)नवारिदा दे
*' वहाँ । ”” उसने जहाजकी रोशनी दिखलाते हुए कहा ।
घुंघली-सी चेतना आई । वास्तव आज ही तो मेरा जहाज खुलने-
वाला था । पर वह तो शामके ही समय खुल गया हागा !
** लकिन वह तो मेरा जहाज नहीं, राशनीकी ओर थोड़ा ध्यानसे
दखकर मैंने कहा ।
“ खैर, वहँँ तक चला तो सही ! ”'
“ किस लिए ? ” मैं रुक गया ।
““ भावुकता छोड़ो, ” वह भी तन कर स्वड़ी हो गई और तीव्र
याब्दौमें बाली, “ भावुकता दही जीवन नहीं । ”
उसने मर कंघधपर हाथ रखा । मुझे बिजली-सी लगी. । हाथ हटा
दनेका साहस नहीं हुआ । उसकी भी आंगेकी बातें दरारती बच्चोंको
फुसलानेकी मभीति हानि लर्गी ।
उसके साथ चलनेके लिए मैं बाध्य हुआ ।
र्
““ भाइ मेरे ! ” रास्तमें अपने छोटे भाइकी भौति वह मुझे समझाने
छगी, “' बढ़ी बेरहमीके संग्रामका ही नाम जीवन है । इस संग्राममें
विश्राम नहीं; अस्त्र रखना नहीं, सन्घिकी आशा नहीं । अगर तुम मनुष्य
बने रहना चाहते हो तो सोते-जागते, उठते-बेठते अहर्निशि तुम्हें जूझते
ही रहना पड़ेगा ।
*' लेकिन संगिनीको . . .
तुम चाहो या न चाहो, उसे छोड़ तुम्हें जीवित रहना ही पड़ेगा ।”'
उसने बात काटते हुए कहा, “' प्रेम और आनन्द धोखा देनेवाले क्षणिक
मित्र हैं; उनका एकमात्र काम हृदयकों दु्ल बना डालना है । सबसे
बढ़ी लड़ाई तो यहीं हुआ करती दे । तुम्हें अपनी ओरसे ललकार कर
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