छलना | Chhalana
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
146
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about भगवती प्रसाद बाजपेयी - Bhagwati Prasad Bajpeyi
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्रस्तावना ) [ ११
इसी प्रकार 'विलासचन्द्र' श्रीर 'नवीन' श्राघुनिक दृष्टिकोग रखत हैं । 'बलराज'
झ्ादशवादी होता हुमा भी नवीन दृष्टिकोग से वचित नहीं है । पुराने श्र
नये टष्टिकोर्गों का छलना में अच्छा समन्वय हुभ्रा है । प्रत्येक पात्र के मनो-
विकारों का सहानुभूतिपूर्वक श्रौर मार्मिक चित्रण हुआ है । भाषा भी परि-
मार्जित, सुन्दर, सरस श्रौर प्राय: सुबोध है ।
'लना' में चार गीत भी हैं । वे भी भावपूर्ग श्र चुटीले हैं । उनका
प्रयोग भी उपयुक्त स्थानों पर किया गया दे । वे आलाप के भाव को बढ़ी
सुन्दरता स प्रतिबिम्बित और प्रकाशित करते हैं। काव्य की दृष्टि स भी वे
अच्छे हैं ्ौर मनोत्रत्ति श्रोर सिद्धान्त की रक्ता श्रच्छी तरदद करते हैं ।
यह कहना तों श्रतिशयोक्ति होगी कि “'छलना' में किसी प्रकार की
कमी नहीं । स्वेथा दोषद्दीन रचना तो शायद युग में एक ही ्ाध होती
है । 'छलना” में भी इधर-उधर तराश श्रौर मांजने की गुजायश है । किन्तु
से नये, कठिन श्रौर कोमल काम के करन में वाजपेयीजी को जितनी
सफलता मिली है. वद्द सबथा सराहनीय है । झापकी साहित्यिक तपस्या
भ्रौीर विदग्घता की यह सुन्दर कलिका है । कहानी, उपन्यास श्रौर कविता
लिखने में तो आपने श्रच्छा स्थान प्राप्त कर ही लिया हे । डिन्दी-साहित्य
के प्रेमियों से ध्ाशा है कि वे इस नये क्षेत्र में भी आपका स्वागत करत हुए
श्रापके प्रयत्नों का यथष्ट झादर आर उत्साह का प्रवद्धन करेगे ।
प्रयाग रामप्रसाद त्रिपाठी
रद८-११-३६ एम, ए., डो. एस-सी.
User Reviews
No Reviews | Add Yours...